खुद की साधना करने का पर्व गुप्त नवरात्र
श्री त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ में गुप्त नवरात्र के पूजन के साथ ही आध्यात्मिक व्याख्यान जागरण संवा
जागरण संवाददाता, रामपुर: श्री जितेन्द्र चंद्र भारतीय महायोग शोध संस्थान एवं श्री त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ में गुप्त नवरात्र के उपलक्ष्य में माता का विधि-विधान के साथ पूजन किया गया। इस दौरान आध्यात्मिक व्याख्यान हुआ, जिसमें महायोगी डॉ.राधे श्याम शर्मा वासन्तेय ने कहा कि गुप्त नवरात्र में स्वयं की चेतना को जागृत कर ब्रह्म चेतना से जोड़ा जाता है। इस प्रकार यह खुद की साधना करने का पर्व है।
उन्होंने कहा कि चैत्र या वासंतिक नवरात्र और आश्विन या शारदीय नवरात्र के अतिरिक्त दो और नवरात्र भी हैं जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती है। माघ शुक्ल पक्ष में और आसाढ़ शुक्ल पक्ष में, इस प्रकार कुल मिलाकर वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। महाकाल संहिता और तमाम ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है। नवरात्र की प्रासंगिकता ही उसकी सदुपयोगिता में है। नवरात्र के नौ दिन मन, वाणी, कर्म तीनों में शुद्धता लाते है। इसकी साधना आत्मा, मन और शरीर का शोधन करती है। इसलिए गुप्त नवरात्र अत्यंत पवित्र और सकारात्मक शक्ति से परिपूर्ण हैं। प्रकृति के तीनों गुण सत्व, रज और तम में संतुलन आता है और धीरे-धीरे सत्व गुण की अधिकता हो जाती है। इससे कुंडलनी जागरण प्रभावी हो जाती है। यह अवस्था परम आनंद की है और जीवन का उद्देश्य साकार हो जाता है। इसलिए गुप्त नवरात्र की साधना प्रत्येक मानव को करनी चाहिए। स्वच्छ मन और स्वस्थ तन से ही खुशहाल और संपन्न समाज का निर्माण होता है। उन्होंने सभी को साधना में लीन रहकर कर्म करने की प्रेरणा दी। इस दौरान यज्ञ पूजन हुआ। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान तमाम साधक मौजूद रहे।