Move to Jagran APP

आजम के जौहर ट्रस्ट की जमीन पर सरकारी कब्जे की कार्रवाई शुरू, जानिए क्या है पूरा मामला

डीएम आन्जनेय कुमार सिंह के अनुसार आजम पर लगे आरोपों की सत्यता की जांच आयकर और ईडी के अफसर ही ठीक से कर सकेंगे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 10:50 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 07:10 AM (IST)
आजम के जौहर ट्रस्ट की जमीन पर सरकारी कब्जे की कार्रवाई शुरू, जानिए क्या है पूरा मामला
आजम के जौहर ट्रस्ट की जमीन पर सरकारी कब्जे की कार्रवाई शुरू, जानिए क्या है पूरा मामला

रामपुर (मुस्लेमीन)। सांसद आजम खां के जेल जाने के बाद उनके मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट पर रामपुर जिला प्रशासन कार्रवाई के लिए शिकंजा कस रहा है। जांच दो स्तर पर होगी। एक, शासन की ओर से जमीन खरीद की जो अनुमति उनको दी गई, उसके उपभोग की शर्तों के पालन को परखा जाएगा। दूसरा, जौहर ट्रस्ट को दान में जो राशि मिली, वह कितनी और कहां से मिली। ट्रस्ट के संचालन में अनियमितताओं की जांच जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार ङ्क्षसह ने उप जिलाधिकारी सदर प्रेम प्रकाश तिवारी को सौंपी थी। तिवारी ने ट्रस्ट के संचालन को लेकर कुछ सवालों के जवाब के लिए आजम परिवार को नोटिस जारी किया था। आजम ट्रस्ट के खुद अध्यक्ष हैं तो उनकी पत्नी तजीन फात्मा सचिव। दोनों बेटे सदस्य और बहन कोषाध्यक्ष हैं। इस समय आजम पत्नी और बेटे सहित जेल में हैं। इसलिए जेल तक भी नोटिस को तामील कराया गया। 

loksabha election banner

यह है मामला 

इधर, शनिवार की देर शाम जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार ङ्क्षसह ने जौहर ट्रस्ट को शर्तों और नियमों के उल्लंघन का दोषी पाते हुए उसकी यूनिवर्सिटी की 12.50 एकड़ से ज्यादा खरीदी गई जमीन को सरकारी कब्जे में लेने के लिए धारा 89 के तहत वाद दायर किया है। उन्होंने वाद अपने न्यायालय में दर्ज किया है, लेकिन सुनवाई के लिए अपर जिलाधिकारी प्रशासन के न्यायालय में भेज दिया है। दो दिन पूर्व मियाद बीत जाने के बाद भी आजम खां की ओर से कोई जवाब नहीं आया था। बकौल जिलाधिकारी वह शासन से ट्रस्ट की वित्तीय लेखा की जांच केंद्रीय एजेंसी से तेजी से कराने का आग्रह कर रहे हैं। माना जा रहा है कि जिलाधिकारी की पहल पर आयकर और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में तेजी आ जाएगी। दरअसल, ट्रस्ट पर विदेशी फंङ्क्षडग समेत कई गंभीर आरोप हैं। सरकार ने दी थी अनुमति

जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार ङ्क्षसह का कहना है कि प्रदेश सरकार ने ट्रस्ट को सात नवंबर 2005 को जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना हेतु ग्राम सींगनखेड़ा में 12.50 एकड़ से अधिक जमीन खरीदने के लिए शर्तों के साथ अनुमति दी थी। शासनादेश में यह शर्त थी कि शैक्षणिक संस्थान का निर्माण पांच साल के भीतर कर लिया जाएगा। दूसरी शर्त यह थी कि प्रत्येक वित्त वर्ष में खरीदी गई जमीन और निर्माण कार्यों का विवरण जिलाधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराया जाएगा। एक अप्रैल को यह विवरण दिया जाना चाहिए लेकिन, ऐसा हाल के वर्षों में नहीं हुआ। डीएम ने संज्ञान लेकर कार्रवाई की है। 

उच्च स्तरीय जांच की मांग

आजम के ट्रस्ट के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी लघु उद्योग प्रकोष्ठ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संयोजक आकाश सक्सेना ने राज्य और केंद्र सरकार से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। सक्सेना ने जो शिकायत की है, उसमें ट्रस्ट को नौ हजार से अधिक लोगों द्वारा चंदा दिए जाने की बात है। करीब चार सौ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पांच-पांच लाख से ज्यादा चंदा दिया है। विदेश से भी रकम दान में आई है। जिला प्रशासन आकाश के आरोपों सहित यह जांच करेगा कि विदेशी दान नियमन कानून (एफसीआरए) के तहत जो रकम आई, उसका विवरण आजम ने क्यों नहीं दिया?। 

 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.