नदी की जमीन पर कब्जा करने के मामले में SP सांसद आजम खां व जौहर यूनिवर्सिटी के दो कर्मियों पर केस दर्ज
पूर्व मंत्री व रामपुर से नवनिर्वाचित समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां और जौहर यूनिवर्सिटी के दो कर्मियों के खिलाफ आज अजीमनगर थाने में केस दर्ज किया गया है।
रामपुर, जेएनएन। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां के खिलाफ कोसी नदी की जमीन पर अवैध कब्जा करने का मामला दर्ज किया गया है। रामपुर से निर्वाचित सांसद आजम खां के साथ उनकी जौहर यूनिवर्सिटी के दो कर्मियों के खिलाफ नायब तहसीलदार ने केस दर्ज कराया है।
कोसी नदी की जमीन को कब्जा करके जौहर विश्वविद्यालय परिसर में मिलाने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता व सांसद आजम खां की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैैं। कल पुलिस ने इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। आजम खां पर सरकारी कामकाज में बाधा डालने का भी आरोप है। इस मामले में आजम खां के साथ ही जौहर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार आर कुरैशी और मुख्य सुरक्षा अधिकारी आले हसन खां भी आरोपी बनाए गए हैैं।
आजम खां पर आरोप है कि उन्होंने लगभग पांच हेक्टेयर जमीन जौहर विश्वविद्यालय परिसर में मिला ली है। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह के आदेश पर 25 मई को राजस्व विभाग की एक टीम यूनिवर्सिटी में पैमाइश के लिए गई थी। इस टीम को पैमाइश नहीं करने दिया गया। इसके बाद नायब तहसीलदार सदर केजी मिश्रा ने अजीमनगर थाने में तहरीर दी। थाना प्रभारी राजीव चौधरी के अनुसार तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। मुकदमा सरकारी संपत्ति को कब्जाने और सरकारी कार्य में बाधा डालने की धाराओं में किया है। रजिस्ट्रार के साथ ही आरोपी बनाए गए विश्वविद्यालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी आले हसन खां रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं। वह रामपुर में ही लंबे समय तक सीओ सिटी रहे।
जिलाधिकारी ने बताया कि समाजवादी पार्टी शासन काल में यूनिवर्सिटी का विस्तार करने के लिए शासन से इस जमीन की मांग की गई थी। पिछले दिनों इस संबंध में शासन ने रिपोर्ट मांगी थी। इस पर जमीन की पैमाइश के लिए राजस्व टीम को यूनिवर्सिटी भेजा गया था।
यह है मामला
यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं जौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां की ओर से सपा सरकार में मंत्री रहते नौ नवंबर 2013 को शासन से कोसी नदी क्षेत्र की जमीन यूनिवर्सिटी के लिए आवंटित करने की मांग की गई थी। तब जिला प्रशासन ने अपनी संस्तुति के साथ शासन को प्रस्ताव भेज दिया था लेकिन, फाइल लटक गई। अब शासन ने एक मई 2019 को जिलाधिकारी से सुस्पष्ट आख्या मांगी। इस पर राजस्व टीम पैमाइश के लिए वहां पहुंची जिसका वहां विरोध हुआ।
शासन से अनुमति मिली नहीं, तो कर लिया कब्जा
समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहते आजम खां ने जौहर यूनिवर्सिटी के लिए शासन से नदी की जमीन आवंटित करने की मांग की थी। प्रशासन से प्रस्ताव भी भिजवाया था। अनुमति मिले बिना ही जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इसके बाद चहारदीवारी बनाकर नदी की पांच हेक्टेयर भूमि कब्जाकर यूनिवर्सिटी कैंपस में मिला ली गई। सपा सरकार रहते छह साल तक यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। अब फिर शासन ने भूमि आवंटन के संबंध में जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी तो पता लगा कि यह जमीन तो पहले से ही यूनिवर्सिटी के कब्जे में है। इसकी पुष्टि जांच में हुई। मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी आजम खां का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। इसके शिलान्यास के मौके पर 18 सितंबर 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव समेत पूरी सरकार रामपुर में थी। 18 सितंबर 2012 को उद्घाटन के मौके पर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरी सरकार के साथ आए थे। जौहर यूनिवर्सिटी शुरू से ही चर्चा में रही है और जमीन को लेकर विवाद बने रहे। आलियागंज के कई लोगों ने उनकी जमीनों को कब्जाने और चक रोडों पर कब्जा करने को लेकर मुकदमे भी दर्ज कराये। 2007 में जब सत्ता परिवर्तन हुआ था तब तत्कालीन बसपा सरकार ने यूनिवर्सिटी की दीवारों पर बुलडोजर चलवा दिया था और चक रोड खुलवा दिए थे।
नदी की पांच हेक्टेयर भूमि कब्जाकर कैंपस परिसर में मिलाई
समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहते आजम खां ने जौहर यूनिवर्सिटी के लिए शासन से नदी की जमीन आवंटित करने की मांग की थी। प्रशासन से प्रस्ताव भी भिजवाया था। अनुमति मिले बिना ही जमीन पर कब्जा कर लिया। चारदीवारी कराने के बाद पांच हेक्टेयर जमीन को यूनिवर्सिटी कैंपस में मिला लिया। सपा सरकार रहते छह साल तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। अब फिर शासन ने भूमि आवंटन के संबंध में जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी तो पता लगा कि यह जमीन तो पहले से ही यूनिवर्सिटी के कब्जे में है। इसकी पुष्टि जांच में हुई। मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी आजम खां का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। इसके शिलान्यास के मौके पर 18 सितंबर 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव समेत पूरी सरकार रामपुर आई थी। 18 सितंबर 2012 में उद्घाटन के मौके पर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरी सरकार के साथ आए थे। यूनिवर्सिटी शुरू से ही चर्चा में रही है और जमीन को लेकर विवाद बने रहे। आलियागंज के कई लोगों ने उनकी जमीनों को कब्जाने और चक रोड पर कब्जा करने को लेकर मुकदमे भी दर्ज कराए। 2007 में जब सत्ता परिवर्तन हुआ था, तब तत्कालीन बसपा सरकार ने यूनिवर्सिटी की दीवारों पर बुलडोजर चलवा दिया और चक रोड खुलवा दिए थे।
राजस्व परिसर में दर्ज हैं 14 मुकदमें
योगी सरकार आने पर जमीनों की अदला-बदली को लेकर भी राजस्व परिषद में मुकदमे दायर किए गए। प्रशासन की ओर से 14 मुकदमे राजस्व परिषद में दायर कराए गए, जिनमें चक रोड की जमीन के बदले में अनुपयोगी जमीन देने और दलितों की जमीन बिना अनुमति के ही खरीदने के आरोप हैं।
शासन में लटक गई फाइल
मामला कोसी नदी की जमीन का है। यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं जौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां की ओर से सपा सरकार में मंत्री रहते नौ नवंबर 2013 को शासन से नदी क्षेत्र की जमीन यूनिवर्सिटी के लिए आवंटित करने की मांग की गई थी, तब जिला प्रशासन ने अपनी संस्तुति के साथ शासन को प्रस्ताव भेज दिया था, लेकिन शासन से आवंटन नहीं हो सका था और फाइल लटक गई। अब शासन ने एक मई 2019 को जिलाधिकारी से सुस्पष्ट आख्या मांगी। इस पर डीएम आन्जनेय कुमार ङ्क्षसह ने उप जिलाधिकारी सदर प्रेम प्रकाश तिवारी से रिपोर्ट मांगी। एसडीएम ने 25 मई को भूमि की पैमाइश के लिए राजस्व टीम यूनिवर्सिटी भेजी। टीम ने पाया कि पहले से ही पांच हेक्टेयर पर कब्जा है और आठ फीट ऊंची दीवार बना रखा है। एसडीएम का कहना है कि यूनिवर्सिटी में टीम का विरोध किया गया तब पुलिस को भेजा गया। इसके बाद पैमाइश का भी विरोध किया गया। टीम ने पैमाइश की तो पता लगा कि जिस भूमि को आवंटित करने की मांग की गई है वह तो पहले से ही कब्जा रखी है। चारदीवारी बनाकर यूनिवर्सिटी कैंपस में ले रखी है। इसी कारण जमीन कब्जाने और पैमाइश का विरोध करने पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
यूनिवर्सिटी गेट को लेकर दोबारा नोटिस जारी होगा
मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी में बनी लोक निर्माण विभाग की सड़क और उस पर बने गेट को लेकर एक बार फिर नोटिस जारी होगा। लोक निर्माण विभाग ने 10 दिन पहले यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा था कि यूनिवर्सिटी के अंदर लोक निर्माण विभाग की सड़क बनी है। सड़क के शुरू में ही गेट बनवा दिया गया है और आम आदमी को इसके अंदर नहीं जाने दिया जाता है। गार्ड गेट पर ही रोक लेते हैं। विभाग ने सड़क पर बने गेट और अन्य कब्जों को को तीन दिन में हटाने के निर्देश दिए थे। यूनिवर्सिटी की ओर से इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। जिलाधिकारी के मुताबिक हाईकोर्ट से यूनिवर्सिटी को अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने पूछा था कि किस एक्ट में नोटिस जारी किया है। अब एक्ट का हवाला देते हुए नोटिस जारी किया जाएगा। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
नदी की भूमि नहीं हो सकती आवंटित
डीएम आन्जनेय कुमार सिंह ने बताया कि नदी होने के कारण उक्त जमीन आवंटित नहीं हो सकती। सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार नदी की भूमि को वास्तविक रूप में रखा जाना उचित है। इस संबंध में तीन जून 2016 को शासन ने आदेश भी जारी किया था। इसमें सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी और जगपाल सिंह बनाम पंजाब राज्य के मुकदमे का उल्लेख है, जिसमें कोर्ट ने आदेश दिया है कि तालाब, पोखर, घोला तथा अन्य जल प्रणालियां आदि की भूमि आवंटित नहीं हो सकती है। यदि अपरिहार्य स्थिति होगी तब ही विनिमय परिग्रहण किया जा सकता है, लेकिन जौहर यूनिवर्सिटी के प्रार्थना पत्र में अपरिहार्यता को कोई कारण नहीं दिखाया गया है। ऐसी परिस्थिति में प्रार्थना पत्र में उल्लेखित भूमि का परिग्रहण नहीं किया जा सकता। जौहर यूनिवर्सिटी द्वारा नदी की लगभग पांच हेक्टेयर जमीन पर चार दीवारी बनाकर कब्जा कर लिया गया है।
हमने नहीं किया अवैध कब्जा
कुलाधिपति जौहर यूनिवर्सिटी, आजम खां ने बताया कि यूनिवर्सिटी में जो भी जमीन है वह हमने खरीदी है। ग्राम समाज या चक रोड की जमीन के बदले में दूसरी जमीन दी गई है। हमने कोई कब्जा नहीं कर रखा है। हम पर लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं। मुकदमेबाजी में हमें इंसाफ की पूरी उम्मीद है।
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