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टांड़ा क्षेत्र में नहरों की सफाई न होने से किसान परेशान

रामपुर टांडा क्षेत्र में जालपुर माइनर नहर सहित क्षेत्र की तीन नहरें सफाई न होने व आए दिन साइडें कटने से समस्या बन गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 11:13 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 11:13 PM (IST)
टांड़ा क्षेत्र में नहरों की सफाई न होने से किसान परेशान
टांड़ा क्षेत्र में नहरों की सफाई न होने से किसान परेशान

रामपुर: टांडा क्षेत्र में जालपुर माइनर नहर सहित क्षेत्र की तीन नहरें सफाई न होने व आए दिन साइडें कटने से किसानों के लिए बड़ी समस्या का कारण बनी हुई हैं। नहर विभाग की लापरवाही के कारण तीनों नहरें फायदे के बजाए नुकसान का सबब बन गई हैं। इससे क्षेत्र के किसान बेहद परेशान हैं।

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नगर के बीच से होकर निकलने वाली जालपुर माइनर नहर, सेंटाखेड़ा नहर, और लांबाखेड़ा नहर किसानों के लिए सिचाई का काम करती हैं। तीनों नहरों की सफाई केवल कागजों में ही करके खाना पूर्ति कर दी जाती है। अधिकारी व कर्मचारी कभी इस समस्या पर ध्यान ही नहीं देते हैं। नहरों की साइड में घास काफी बड़ी हो जाती है। कभी नहर की मिट्टी या गंदगी निकाली भी जाती है तो वह नहर के बराबर ही में डालकर छोड़ दी जाती है, जिससे रास्ता ही बंद हो जाता है। बाद में वही गंदगी या मिट्टी फिर से नहर में चली जाती है। उत्तराखंड जलाशय से नहरों में पानी छोड़े जाने पर किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता बल्कि बीच में नहरों की साइड कटने से पानी तेजी से बड़ी मात्रा में खेतों में चला जाता है जिससे किसानों की फसलों को भारी नुकसान होता है। वर्तमान में एक साल से नहर की सफाई नहीं हुई है। विभाग की लापरवाही के चलते जालपुर माइनर नहर जो गांव खेड़ा (झुरक झुंड) के आगे बहल्ला नदी में जाकर मिलती है। बीच रास्ते में लोगों ने कब्जा कर बंद कर दी है। क्षेत्र में प्रमुख रूप से धान गेहूं, गन्ने आदि फसलों के किसानों को नहर का लाभ नहीं मिल रहा है। सिचाई को यह नहरें काम आती हैं। पर इनका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। जब भी उत्तराखंड जलाशय से इनमें पानी छोड़ा जाता है तो रास्ते में नहर में कूड़ा, गंदगी भरा रहने और कई स्थानों से कटने के कारण पानी अंत तक नहीं पहुंच पाता है। यही दुर्दशा जालपुर माइनर नहर की है। किसानों का कहना है कि यदि नहर का रख रखाव सही हो तो काफी राहत मिलेगी। जालपुर माइनर नहर से जुड़े गांव राफातपुर, रामनगर लतीफपुर, नया गांव, चक खरदिया, खानपुर गरवी, सीरका, परशुपुरा, जटपुरा, लांबाखेड़ा नहर से जुड़े गांव रूपापुर, मुमाना, चंदुपुरी, शाहपुरा, मंडवा, अपलगढ़, धनुपुरा, छितरिया जागीर, आदि हैं। सेंटखेड़ा नहर से जुड़े गांव मिलक, रतुआ नगला, टंडोली, टंडोला, सेंटखेड़ा, फैजुल्ला नगर, नवाबनगर, करीमपुर, मिलक भवानीपुर आदि गांव शामिल हैं। जिनके किसान नुकसान के साथ परेशानी भी उठा रहे हैं। जेई नितिन कुमार का कहना है 15 अक्टूबर तक बाढ़ का सीजन चलता है। प्रक्रिया चल रही है। 15 अक्टूबर के बाद नहरों की सफाई की जाएगी। उन्होंने अभी कुछ दिन पहले चार्ज लिया है। इसकी जानकारी नहीं है कि नहरों की सफाई कब से नहीं हुई है।


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