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किसानों के मुफ्त में बन रहे तालाब, 33 हजार मजदूरों को मिल रहा रोजगार

काम एक फायदे अनेक। इसी तर्ज पर काम करते हुए रामपुर में मनरेगा से हजारों मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही तालाब बनवाए जा रहे हैं। इनसे जल संरक्षण के साथ ही मछली पालन को भी बढ़ावा मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 11:30 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 11:30 PM (IST)
किसानों के मुफ्त में बन रहे तालाब, 33 हजार मजदूरों को मिल रहा रोजगार
किसानों के मुफ्त में बन रहे तालाब, 33 हजार मजदूरों को मिल रहा रोजगार

मुस्लेमीन, रामपुर: काम एक, फायदे अनेक। इसी तर्ज पर काम करते हुए रामपुर में मनरेगा से हजारों मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही तालाब बनवाए जा रहे हैं। किसानों के खेतों में भी मुफ्त में तालाब खोदे जा रहे हैं। इनसे जल संरक्षण के साथ ही मछली पालन को भी बढ़ावा मिलेगा। इस तरह ये तालाब आगे भी किसानों और मजदूरों की आमदनी का जरिया बने रहेंगे।

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रामपुर में मनरेगा से 117 तालाब बनाए जा रहे हैं। इनमें नौ तालाब ऐसे हैं, जो किसानों के खेतों में बन रहे हैं। इनमें मछली पालन होगा। इस तरह तालाबों के निर्माण से एक दो नहीं, बल्कि तीन फायदे हैं। मजदूरों को रोजगार मिलने के साथ ही जलसंरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। मछली पालन से आगे भी आमदनी का जरिया बना रहेगा। इस समय 14 हजार मजदूर तालाब खोदने में जुटे हैं। रामपुर में पहले से ही मछली पालन बड़े पैमाने पर होता है। मिलक क्षेत्र में मछली का बीज तैयार होता है, जो देश के कोने-कोने में सप्लाई होता है। यहां 36 हैचरी है और एक हैचरी में ही ढाई से तीन करोड़ बीज तैयार होता है। दो शिफ्ट में काम कर रहे मजदूर

बिलासपुर ब्लॉक के नारायण नगला के प्रधान नबी अहमद बताते हैं कि गांव के किसान अहमद नबी के चार बीघा खेत में तालाब खोदा जा रहा है। पांच फीट गहरा खोदने के बाद इसके चारो ओर चार फीट ऊंचा बांध बनाया जा रहा है। इस तालाब को खोदने में दो शिफ्ट में सौ-सौ मजदूर लगे हैं। सुबह सात बजे से 11 बजे तक और शाम को तीन बजे से सात बजे तक मजदूर काम कर रहे हैं। भीषण गर्मी के कारण दोपहर में काम बंद रखा जाता है। मनरेगा से मिला सहारा

नरायण नगला गांव के प्रवासी मजदूर सईद अहमद का कहना है कि वह सिद्धार्थनगर में मजदूरी करता था। वहां से लौट आया है। अब ग्राम प्रधान ने उसका जॉब कार्ड बनवाया है और वह मनरेगा के तहत तालाब की खुदाई के काम में लगा है। उसे रोज 202 रुपये के हिसाब से मजदूरी मिलती है। छह दिन की मजदूरी एक साथ उसके बैंक खाते में पहुंच रही है। अब तक 18 दिन की मजदूरी मिल चुकी है। उसका कहना है कि मनरेगा योजना से उसे बड़ा सहारा मिला है। इससे उसके परिवार का गुजारा हो रहा है। 80 करोड़ का बजट

मनरेगा के उपायुक्त प्रभु दयाल का कहना है कि रामपुर जिले का चालू वित्त वर्ष का 80 करोड़ का बजट है, जबकि पिछले साल 50 करोड़ था। जिले में इस वक्त थे 33044 मजदूर मनरेगा के काम में लगे हैं। इससे पहले कभी इतनी संख्या में मजदूरों को रोजगार नहीं मिला है। नौ हजार प्रवासी मजदूरों के जाब कार्ड बनवाए हैं, जो काम भी कर रहे हैं। मजदूरों को छह करोड़ का भुगतान भी किया जा चुका है। दूसरे स्थानों से गांव लौटे मजदूरों को होम क्वारंटाइन कराने के बाद काम पर लगाया जा रहा है। रामपुर में इस समय संपर्क मार्गों और नाली निर्माण के साथ ही तालाब खोदे जा रहे हैं।


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