रैन बसेरे में रातें गुजारने नहीं पहुंच रहे लोग
जेनरेटर न होने से लाइट जाने पर जलानी पड़ती है मोमबत्ती
जागरण संवाददाता, रामपुर : जिला जेल के पीछे बने आश्रय गृह (शेल्टर हाउस) का भवन काफी खूबसूरत बना हुआ है, जिसमें रुकने के लिए अच्छे इंतजाम हैं। इसके बावजूद इसमें ठहरने के लिए बहुत कम लोग पहुंच पाते हैं, क्योंकि यह रोडवेज और रेलवे स्टेशन आदि से काफी दूर बना हुआ है।
जिला जेल के पीछे बने रैन बसरा आश्रय गृह (शेल्टर हाउस) के तीन मंजिला भवन में 100 लोगों के रूकने की व्यवस्था है। इसमें महिलाओं और पुरुषों के रहने के लिए अलग-अलग व्यवस्था कर रखी है। गर्मियों के लिए हर कमरे और हॉल में पंखे लगे हैं, इसके अलावा कूलर भी लगे हैं। वहीं सर्दियों के लिए बेड, गद्दा, रजाई, कंबल आदि की व्यवस्था है। हॉल में रात में रुकने वाले लोगों की सामान की सुरक्षा के लिए लॉकर भी बने हैं। परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इसके अलावा आग बुझाने के लिए उपकरण भी लगे हैं। पेयजल के लिए समरसेविल लगा हुआ है। पीने के पानी के लिए रसोई घर में आरओ लगा हुआ है, जिससे लोगों को फिल्टर युक्त साफ पानी मिल सके। छह शौचालय बने हैं इसके अलावा बाथरूम आदि की व्यवस्था है। इसके बावजूद इसमें रहने वाले लोगों की संख्या इसकी क्षमता से काफी कम रहती है।
आश्रय गृह के केयर टेकर शुऐब खां ने बताया कि आश्रय गृह में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। सुबह रोजाना एक सफाई कर्मचारी पूरे आश्रय गृह की सफाई करता है। इसमें 100 लोगों के रहने की व्यवस्था है। मगर ऊपर की मंजिल के दो हॉल, जिसमें लगभग 20 लोग रह सकते हैं, उसको जिला जेल की ओर से सुरक्षा के मद्देनजर बंद करा दिया गया है। इस हॉल से जिला जेल के अंदर का सब दिखाई देता है। जिला जेल के अधिकारियों की ओर से कह रखा है कि अगर इसमें रहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा हो तो हमें जानकारी दें तो हम इसे भी खुलवा देंगे। मगर इसमें क्षमता से कम ही लोग आते हैं। इसका कारण इसकी दूरी रेलवे और बस स्टेशन से अधिक होना है। इस समय 10 लोग ही इस आश्रय केंद्र में रह रहे हैं, जिसमें छह पुरुष और चार महिलाएं हैं। स्टाफ के बारे में बताया कि इसके प्रबंधक राजेश सक्सेना हैं। इसके अलावा शुऐब खां, अमान, मुस्तफा अली, चंद्रिका सक्सेना केयर टेकर हैं, चौकीदार मजहर और एक सफाई कर्मचारी है। 24 घंटे कर्मचारियों की बदल-बदलकर डयूटी रहती है। यहां पर सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा परिसर में छह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, जिसकी निगरानी के लिए कंप्यूटर कक्ष बना हुआ है। हालांकि इस भवन में अभी जेनरेटर की सुविधा नहीं है, जिससे लाइट जाने पर लोगों को मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ता है। वहां पर रह रही सलीमा ने भी कहा कि यहां पर अच्छे इंतजाम है।