दूषित नहीं पौष्टिक खाएं, सुरक्षित जीवन जिएं
आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस है।
रामपुर, जेएनएन। आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस है। इसे मनाने का उद्देश्य लोगों में सुरक्षित खाद्य मानकों को बनाए रखने के विषय में जागरूकता पैदा करना और खाद्य जनित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों को कम करना है।
आधुनिक होने की होड़ में आज हम पौष्टिक खाने को छोड़ दूषित भोजन की ओर आकृष्ट होते जा रहे हैं। वहीं अधिक लाभ कमाने के चक्कर में कई किसान भी फसलों में जीवन के लिए घातक रसायनों का प्रयोग करने लगे हैं। इन सब को लेकर जागरूक होने वा इन से बचने की दिशा में हम सब को समय रहते कदम उठाने चाहिए, अन्यथा परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं। प्रश्न उठता है कि खाद्य सुरक्षा बनी रहे, इसके लिए क्या प्रयास होने चाहिए। सबसे पहले तो सरकारों को चाहिए कि सब के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके अलावा कृषि और खाद्य उत्पादन में अच्छी प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है। व्यापार करने वाले लोगों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो खाद्य पदार्थ वे बेच रहे हैं, वह पूरी तरह सुरक्षित है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस एक अभूतपूर्व अवसर है, जो सरकारों से उन प्रणालियों को मजबूत करने का आह्वान करता है जिस से हमारा भोजन पौष्टिक व सुरक्षित हो सके। स्वास्थ्य विशेषज्ञ की राय
जिला अस्पताल में चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राकेश मित्तल बताते हैं कि परंपरागत भारतीय खानपान के स्थान पर आधुनिक और पाश्चात्य शैली पर आधारित रेडी-टू-ईट, पैक्ड या डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, जंक फूड और फास्ट फूड के सेवन से हमारे शरीर में हानिकारक तत्वों की वृद्धि होती है। जंक फूड और फास्ट फूड में ट्रांसफैट, शुगर, सोडियम और लेड जैसे खतरनाक रसायनों का प्रयोग कर उसे टेस्टी तो बनाया जाता है, लेकिन वह हेल्दी नहीं रह जाता। इससे मनुष्य की भूख तत्काल तो मिट जाती है, परन्तु शरीर की पोषण से संबंधित जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पाती। इसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स आदि पोषक तत्वों का अभाव होता है। फाइबर का अभाव और चिकनाई की अधिकता होने के कारण इसके सेवन से पाचन तंत्र भी बुरी तरह से प्रभावित होता है।
आवश्यक पोषक तत्वों के अभाव के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। खाएं घर की बनी चीजें
महानगरों में भागदौड़ भरी जीवनशैली और काम के तनाव के कारण युवा घर पर निर्मित खाद्य पदार्थों के सेवन की बजाय मार्केट में उपलब्ध रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों का सेवन कर भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। परन्तु होटल और टिफिन वाले भोजन में पौष्टिकता की बजाय स्वाद पर बल दिया जाता है। स्वाद और फैशन के चक्कर में खाद्य पदार्थो के निर्माण में टेस्ट मेकर, हानिकारक रसायनों, सिथेटिक कलर, वसा, शुगर, ट्रांस फैट आदि का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। डॉ. मित्तल कहते हैं कि हम स्वाद के चक्कर में यह भूल ही जाते हैं कि ऐसे भोजन के सेवन से अनेक खतरनाक बीमारियां जन्म लेती हैं। आवश्यक है कि हम घर पर बना पौष्टिक भोजन ही करें।