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चाकू लेकर थाने पहुंची युवती, कहा प्रेमी से शादी कराओ, वर्ना दे दूंगी जान

चाकू लेकर थाने पहुंची युवती कहा प्रेमी से शादी कराओ वर्ना दे दूंगी जान

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 11:04 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 11:04 PM (IST)
चाकू लेकर थाने पहुंची युवती, कहा प्रेमी से शादी कराओ, वर्ना दे दूंगी जान
चाकू लेकर थाने पहुंची युवती, कहा प्रेमी से शादी कराओ, वर्ना दे दूंगी जान

टांडा : प्रेमी युगल की जिद के चलते टांडा कोतवाली में शनिवार रात चार घंटे तक ड्रामा चलता रहा। मामला दो बिरादरी का होने से तनाव की स्थिति बन गई। कोतवाली के बाहर दोनों पक्षों के लोगों की भीड़ इकट्ठा थी, लेकिन पुलिस ने सूझबूझ से काम लिया। प्रेमी युगल की जिद भी पूरी कर ली और परिजनों को मना लिया। तनाव दूर करते हुए खुशनुमा माहौल बनाकर कोतवाली में ही निकाह कराया और युवती को ससुराल के लिए विदा कर दिया। यह प्रेम कहानी टांडा कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला भब्बलपुरी की युवती की है, जो पड़ोस में रहने वाले युवक को दिल दे बैठी। दोनों बालिग हैं और पढ़े-लिखे हैं। युवती रामपुर के एक स्कूल में कुरान पढ़ाती थी, जबकि युवक भी कारी (अलग अंदाज में कुरान पढ़ाने वाला) है। युवती बंजारा जाति की है, जबकि युवक सलमानी बिरादरी का है। हालांकि युवक की टेलर की दुकान है। दोनों के प्यार की भनक जब युवती के परिजनों को लगी तो उन्होंने युवती पर बंदिश लगा दी। परिजन उसकी शादी के लिए लड़का ढूंढने लगे, जबकि युवती प्रेमी से ही शादी करना चाहती थी। परिजन जब नहीं माने तो मजबूरन युवती को दूसरा रास्ता चुनना पड़ा। वह चाकू लेकर कोतवाली पहुंच गई और प्रेमी से शादी न होने पर जान देने की धमकी दी। पुलिस ने युवक और युवती के परिजनों को बुला लिया। कुछ देर बाद यह जानकारी आग की तरह फैल गई। दोनों पक्षों के लोग कोतवाली के बाहर इकट्ठा हो गए। तनाव की स्थिति बनने लगी। मामला गंभीर होते देख पुलिस ने सूझबूझ दिखाई। भीड़ को खदेड़ा। पहले तो पुलिस ने युवक और युवती को समझाने का प्रयास किया, जब दोनों नहीं माने तो परिजनों से बात की। उन्हें समझाया कि दोनों बालिग हैं। पुलिस का प्रयास सफल रहा और परिजन मान गए। तब कोतवाली में ही तुरंत काजी बुलाकर निकाह पढ़ाया। दोनों के भविष्य को देखते हुए उन्हें संपत्ति में हिस्सा दिलाने से लेकर मेहर आदि तक की बात तय कराई। कोतवाली प्रभारी दुर्गा सिंह का कहना है कि युवती का तरीका भले ही गलत था, लेकिन ऐसे मामलों में ज्यादा दबाव नहीं बना सकते हैं। दोनों बालिग थे और पढ़े-लिखे भी थे। ऐसे में परिजनों को समझाया। अच्छा-बुरा समझाया। वे समझदार निकले और बच्चों की खुशी के खातिर सहमति दे दी।

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