जिवाई कदीम गांव में डिप्थीरिया का खतरा, एक बच्चे की मौत के बाद अब 15 आशंकित मिले
जिवाई कदीम गांव में डिप्थीरिया का खतरा बढ़ गया है, जहाँ एक बच्चे की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने 15 संदिग्ध मरीजों की पहचान की है और उनके नमूने जांच के लिए भेजे हैं। गांव में 353 बच्चों को टीका लगाया गया है और स्वास्थ्य विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है। बुखार पीड़ितों के लिए मुफ्त दवाइयां उपलब्ध हैं और ग्राम प्रधान से सफाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है।
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प्रचार गाड़ी से जानकारी देते कर्मचारी
संवाद सहयोगी, जागरण, मिलक। थाना पटवाई के जिवाई कदीम गांव में डिप्थीरिया का खतरा बढ़ गया है। यहां एक सात साल के बच्चे की मौत हो चुकी है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यहां जांच की। डिप्थीरिया आशंकित 15 मरीज मिले, जिनके सेंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। साथ ही 353 बच्चों को वैक्सीन लगाई गई है।
शुक्रवार को भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर जांच की। टीम के गांव में आने और वैक्सीनेशन के लिए लाउडस्पीकर से प्रचार कराया गया। गांव निवासी पान सिंह का सात साल का बेटा मनीष प्राइवेट स्कूल में कक्षा केजी का छात्र था। उसे 10 दिन पहले बुखार आया था। पहले स्वजन ने उसे धमोरा में डाक्टर को दिखाया।
आराम नहीं मिलने पर स्वजन डाक्टर बदलते रहे। 11 नवंबर को सरकारी अस्पताल में भी दिखाया। वहां से बालक को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने हालत गंभीर देख हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। मुरादाबाद से उसे दिल्ली ले जाने की सलाह दी गई। दिल्ली ले जाते समय 12 नवंबर को उसकी मौत हो गई थी।
सीएचसी मिलक के प्रभारी डा. बासित अली ने बताया कि बच्चे की मौत डिप्थीरिया से हुई है। डिप्थीरिया एक जीवाणु संक्रमण है, जो नाक और गले में एक मोटी, भूरी परत बना सकता है, जिससे सांस लेने और निगलने में कठिनाई होती है। बच्चे की मौत के बाद उसके परिवार के सदस्यों और अन्य बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। उनके सेंपल लिए गए हैं। सभी सेंपल जांच के लिए लैब भेज दिए हैं।
गांव में 15 लोगों के सेंपल जांच के लिए भेजे हैं। इसके साथ ही गांव में डिप्थीरिया से बचाव के लिए टीकाकरण किया जा रहा है। इसके लिए रिक्शा गांव में घुमाकर प्रचार किया रहा है। अब तक 353 बच्चों को टीका लगाया जा चुका है। हमारी टीम पिछले पांच दिनों से लगातार गांव जा रही है। बुखार पीड़ितों की निश्शुल्क जांच के बाद उन्हें दवाइयां दी जा रही है।
ग्रामीणों को साफ सफाई रखने, बुखार आने पर तत्काल नजदीकी सरकारी अस्पताल में दिखाने की सलाह दी जा रही है। ग्राम प्रधान से कहा गया है कि वह गांव में दवा का छिड़काव कराए, गांव की गलियों और चौराहा आदि में साफ सफाई करते हुए नालियों में दवाई को डलवाए
पिता का पहले ही उठ चुका साया
मनीष नाम के जिस बच्चे की डिप्थीरिया से मौत हुई है, उसके पिता पान सिंह का सात साल पहले सड़क हादसे में निधन हो चुका है। मां राजकुमारी विधवा पेंशन और मजदूरी करके बच्चों को पाल रही थी।
दो माह में तीन बच्चों की हो चुकी मौत
प्रधान सरिता के पति प्रेमपाल सिंह ने बताया कि यह बीमारी गांव में बाहर से आए लोगोंं के कारण फैल रही है। गांव के कई लोग दिल्ली, नोएडा, हिमांचल आदि शहरों में रोजगार के लिए गए हैं। दीपावली पर वे सभी अपने घर आए थे। तब से ही गांव में यह बीमारी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। 10 दिन पहले अपने मायके आई एक महिला की बच्ची की भी मौत हुई।
इससे एक माह पहले भी एक बच्चा बीमारी से मरा था। गांव में स्वास्थ्य विभाग की ओर से शिविर लगाकर जांच की जा रही है। दो दिन पहले जिस बच्चे की मौत हुई थी, उसके स्वजन को पहले दिन से सरकारी अस्पताल में दिखाने के लिए कहा गया था, लेकिन वे प्राइवेट में दिखाने की जिद कर रहे थे।

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