कोरोना की मार, चौपट हुआ चावल कारोबार
मुस्लेमीन रामपुर कोरोना काल में विदेश में चावल की डिमांड घट गई है।
मुस्लेमीन, रामपुर : कोरोना काल में विदेश में चावल की डिमांड घट गई है। इसका सीधा असर चावल कारोबार पर पड़ रहा है। राइस मिलें भी ठीक से नहीं चल पा रही हैं। तीन दर्जन मिलें तो बंद पड़ी हैं।
रामपुर में बड़े पैमाने पर चावल की खेती होती है। तराई क्षेत्र होने के कारण यहां साल में दो बार धान की फसल उगाई जाती है। पैदावार ज्यादा होने के कारण जिले में चावल कारोबार को भी बढ़ावा मिला है। यहां 150 राइस मिलें हैं। लेकिन, इस बार राइस मिलों को भी फायदे के बजाय घाटा उठाना पड़ रहा है। इस कारण राइस मिलें ठीक से नहीं चल पा रही हैं।
यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन के रीजनल चेयरमैन विपिन कुमार पप्पी कहते हैं कि वे पिछले सालो में आठ करोड़ का कारोबार करते रहे हैं। लेकिन, इस बार उनकी मिल बंद है। चावल कारोबार के घाटे में पहुंचने की वजह बताते हैं कि रामपुर से पहले चावल का निर्यात होता रहा है, कितु इस साल कोरोना के कारण विदेशों में चावल की डिमांड नहीं है। राइस मिलें केवल सरकार द्वारा खरीदे गए धान को कूटकर चावल बना रही हैं। इसके बदले में उन्हे दस रुपये क्विटल मिलते हैं। लेकिन, इतने में मिल को चलाना मुश्किल है, क्योंकि मिल को चलाने में काफी खर्च आता है। बिजली भी महंगी है। जिले में सबसे ज्यादा चीनी मिले टांडा, केमरी और बिलासपुर क्षेत्र में ही हैं। तीन दर्ज मिलें अभी तक नहीं चल सकी हैं। 115 राइस मिलों ने कराया रजिस्ट्रेशन
जिले में डेढ़ सौ राइस मिलें हैं। डिप्टी आरएमओ अनुपम कुमार निगम बताते हैं कि इस सीजन में 115 मिलों ने ही चालू वर्ष के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। किसानों को अपना धान बेचने में खरीद केंद्रों पर किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया है। केंद्रों का नियमित रूप से निरीक्षण भी किया गया है। किसानों को भी नुकसान
राइस मिलों पर धान की डिमांड कम है। इस कारण मार्केट में धान के दाम भी कम हैं। हालांकि, सरकार ने 1868 और 1888 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित कर रखा है। लेकिन, किसानों को इतना नहीं मिल पा रहा है। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने खुद किसान बनकर धान खरीद केंद्रों पर छापेमारी की तो उनसे भी केंद्रों के बाहर घूम रहे बिचौलियों ने मात्र 12 सौ रुपये प्रति क्विटल धान खरीदने की बात कही थी। इस पर जिलाधिकारी ने सभी केंद्रों पर छापेमारी कराई और घपलेबाज केंद्र प्रभारियों के खिलाफ रिपोर्ट भी कराई। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष हसीब अहमद कहते हैं कि खरीद केंद्रों पर मनमानी होती रही है। किसानों के बजाय बिचौलियों के जरिये धान खरीदा गया। अक्टूबर माह में मार्केट में धान 12 सौ रुपये प्रति क्विटल ही बिक सका। अब मोटा धान 13 सौ रुपये और बासमती 14 सौ रुपये प्रति क्विटल बिक रहा है। इस तरह चावल का निर्यात न होने की वजह से राइस मिल के साथ ही किसानों को भी नुकसान हुआ है।