Move to Jagran APP

कांवड़ पर रोक लगी तो बनाने लगे चटाई

जागरण संवाददाता रामपुर कोरोना संक्रमण के दौर में कांवड़ पर रोक लगने के बाद महीन

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 11:10 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 11:10 PM (IST)
कांवड़ पर रोक लगी तो बनाने लगे चटाई
कांवड़ पर रोक लगी तो बनाने लगे चटाई

जागरण संवाददाता, रामपुर : कोरोना संक्रमण के दौर में कांवड़ पर रोक लगने के बाद महीने भर चलने वाले कांवड़ संबंधी कारोबार पर काफी असर पड़ा है। इस मौसम में अच्छा-भला एक बाजार सजता था, जहां कांवड़ से संबंधी सामान कपड़े आदि बिका करते थे। इसके अलावा महीने भर भंडारे चलने से परचून की दुकानों पर भी खासी रौनक रहती थी। वहीं कांवड़ बनाने का धंधा भी अच्छा चलता था। लेकिन अब, जब सावन के महीने में कांवड़ लाने पर प्रतिबंध लग गया है तो यहां के महीने भर में होने वाले लगभग 15 लाख के कारोबार पर सीधा प्रभाव पड़ा है। नगर के राजद्वारा मुहल्ले में रहने वाले मतलूब मियां एक जमाने से कांवड़ बनाते चले आ रहे थे। अब वृद्धावस्था के कारण उन्होंने यह कारोबार करना बंद कर दिया है। ऐसे में उनके बेटे जावेद अहमद उनके स्थान पर यह कारोबार करने लगे। बहुत थोड़े मुनाफे पर वह भक्तों को कांवड़ उपलब्ध करवाते थे। अब कांवड़ पर रोक लगने के बाद उन्होंने चटाई व डोर चिक आदि बनाने का काम शुरू कर दिया है। वहीं इससे जुड़े दूसरे सामान बेचने वालों का धंधा भी मंदा पड़ गया है। इन लोगों से जब बात की तो उन्होंने कुछ यूं बताया। हमारे वालिद सेवाभाव के तौर पर कांवड़ बनाते थे। सावन माह में लगभग एक हजार कांवड़ वह बेच लिया करते थे। बहुत कम मुनाफे पर वह भक्तों को कांवड़ उपलब्ध करवाते थे। अब इस पर रोक लग गई है तो हम हैंडीक्राफ्ट आदि का सामान बेच रहे हैं। वहीं ऑर्डर मिलने पर चटाई और डोर चिक आदि भी बना लेते हैं।

loksabha election banner

जावेद अहमद, कांवड़ निर्माता हमारे यहां पूजा पाठ का सामान बिकता है। सावन के महीने में एक दुकान से लगभग एक से डेढ़ लाख तक की बिक्री हो जाती थी। हम भी इतना सामान आसानी से बेच लेते थे। पूरे नगर की बात करें तो लगभग 15 लाख से अधिक का कारोबार इस महीने में होता था। उस पर सीधा असर पड़ा है। प्रवीण कुमार, जनरल मर्चेंट हमारा कपड़े का कारोबार है। सावन के महीने में भगवा रंग के कपड़ों की बिक्री बढ़ जाती थी। इसके अलावा शिवजी के फोटो छपी टीशर्ट भी खूब बिका कर ती थीं। अब वह कारोबार ठंडा हो गया है। उससे एक महीने में लगभग डेढ़ लाख रुपये तक की बिक्री हो जाती थी। अब वह बंद हो गया है। हरजीत सिंह हमारी परचून की दुकान है। सावन में भंडारे होते थे तो बहुत सामान बिकता था। एक सप्ताह में लगभग 50 हजार का सामान आसानी से बिक जाता था। इस तरह पूरे महीने में दो लाख रुपये का कारोबार हो जाता था। वह बंद हो गया। वैसे भी कारोबार पर मंदी छाई हुई है।

सतीश अरोड़ा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.