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चावल उद्योग की चमक को लेवी व्यवस्था की दरकार

मुस्लेमीन, रामपुर : देश में हरियाणा और पंजाब समेत कई स्थानों पर चावल का उत्पादन बड़ी मात्रा म

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 10:54 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 10:54 PM (IST)
चावल उद्योग की चमक को लेवी व्यवस्था की दरकार
चावल उद्योग की चमक को लेवी व्यवस्था की दरकार

मुस्लेमीन, रामपुर : देश में हरियाणा और पंजाब समेत कई स्थानों पर चावल का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। रामपुर में भी उत्तराखंड की सीमा से लगे तराई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चावल की खेती हो रही है। जिले में करीब सवा लाख हेक्टेअर में धान की फसल होती है। यहा धान की साल में दो-दो फसलें उगाई जा रही हैं। पैदावार भी अच्छी हो रही है। चावल का उत्पादन अच्छा है। इसे देखते हुए राइस मिले भी जगह-जगह लगी हैं। जिले में केमरी, बिलासपुर, टाडा, नगलिया आकिल और पटवाई आदि स्थानों पर करीब सवा सौ राइस मिले हैं। पहले लेवी व्यवस्था थी, जिसके तहत सरकार मिलों के उत्पादन का 60 फीसदी चावल खरीद लेती थी, बाकी 40 फीसद मिलें बाजार में बेच देती थीं। इससे उद्योग चमक रहा था, लेकिन सरकार ने पाच साल पहले लेवी व्यवस्था खत्म कर दी। इस कारण मिलों को चावल बेचने में दिक्कत आ रही है। इस बार के बजट से राइस मिलर्स लेवी व्यवस्था को फिर से शुरू करने की आस लगाए हैं।

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धान की उन्नत फसल के शोध को मिले स्पेशल पैकेज

धान की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान फसलों में उर्वक और कीटनाशक का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। इससे उत्पादन तो बढ़ रहा है, लेकिन अनाज पर बुरा असर पड़ रहा है। चावल का स्वाद बदलने के साथ ही उसमें जहर का असर भी हो रहा है। निर्यात न हो पाने से राइस मिलें घाटे में पहुंच रही हैं। उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के रीजनल चेयरमैन विपिन कुमार पप्पी कहते हैं उर्वक और कीटनाशक के इस्तेमाल से चावल पर बुरा असर पड़ रहा है। अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और कनाडा ने पेस्टीसाइट से पैदा किए जा रहे चावल को लेने से इन्कार कर दिया है। इस कारण चावल की डिमाड कम हो रही है। हालाकि खाड़ी देश सऊदी अरब, दुबई व कतर ने अभी पाबंदी नहीं लगाई है। रामपुर से हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के निर्यातक चावल खरीदते हैं, जो विदेश भेजते हैं। जिले से एक लाख कुंतल से ज्यादा चावल निर्यात होता रहा है। राइस मिलें अक्टूबर में शुरू हो चुकी हैं, लेकिन इस बार निर्यातक बहुत कम चावल खरीद रहे हैं। चावल की डिमाड कम होने के कारण राइस मिलें भी कम चल पा रही हैं। 24 घटे में मात्र 16-17 घटे ही चल रही हैं। इस वजह से मिले घाटे में चल रही हैं। जिले में 121 राइस मिलें चल रही हैं, जबकि दस से ज्यादा बंद हो चुकी हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को चावल निर्यात बढ़ाने के लिए बजट में कोई योजना लाई जानी चाहिए। साथ ही धान की फसल को बिना कीटनाशक के और समृद्ध बनाने के लिए शोध होने चाहिए। इसके लिए केंद्रीय बजट में अलग से प्रावधान किया जाना चाहिए।

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दुबई में भी लगा टैक्स

उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के रीजनल चेरयमैन विपिन कुमार पप्पी कहते हैं कि सरकार को बजट में ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे चावल उद्योग को बढ़ावा मिले। लेवी व्यवस्था फिर से लागू होनी चाहिए। कीटनाशक का प्रयोग ज्यादा होने के कारण विदेश में चावल की डिमाड कम हो गई है। दुबई में चावल आयात पर टैक्स भी लगा दिया गया है। इस कारण निर्यातकों के सामने और ज्यादा परेशानी आ रही है। सरकार इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दर कम करे। साथ ही उत्तराखंड की तरह बिजली दर कम करे। उत्तराखंड में बिजली दरें उत्तर प्रदेश से आधी हैं।

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धान भी मार्केट में कम

राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष जागेश्वर दयाल दीक्षित कहते हैं कि सरकार किसानों के हित के लिए काम कर रही है। इस बार प्रदेश सरकार ने धान की खरीद खूब की है। इस कारण मिलों को मार्केट में चावल भी कम मिल रहा है। इससे किसानों को फायदा रहा है। रामपुर में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। इस कारण जिले में राइस मिलें भी सौ से ज्यादा हैं। सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पहले भी काम करती रही है। बजट में भी ऐसा कुछ करना चाहिए, जिससे चावल उद्योग को बढ़ावा मिल सके।

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किसान पाठशाला लगाने के लिए मिले बजट

जिला कृषि अधिकारी विश्वनाथ का कहना है कि किसान पैदावार बढ़ाने के लिए यूरिया, एनपीके, जिंक सल्फेट का प्रयोग कर रहे हैं। साथ ही फसल में बीमारी, कीट व खरतपवार को रोकने के लिए पेस्टीसाइट ट्राइसाक्लाजोल, इंडोफिल एम 45, मैन्कोजेब, मोनोक्त्रोटोफास, कुनालफास आदि का प्रयोग कर रहे हैं। इसका असर सीधे चावल के दाने पर होता है। दाने में केमीकल का असर होने के कारण सेहत के लिए नुकसानदायक हो जाता है। किसान फसल में उवर्रक और कीटनाशक का प्रयोग कम करें, इसके लिए उन्हे समझाया जा रहा है। सरकार ने पिछले दिनों किसानों को जागरूक करने के लिए किसान पाठशाला शुरू की हैं। किसानों को जैविक खाद के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

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टाडा में सात राइस मिलें बंद

धान महंगा होने और चावल की बिक्री कम होने से नगर के राइस मिल बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। सात मिलें तो बंद हैं। नगर में वर्तमान में करीब 33 राईस मिल हैं। अधिकतर राइस मिलें घाटे के कारण दयनीय स्थि्त में पहुंच गई हैं। पहले राइस मिलर्स स्वयं धान खरीदते थे और फिर सरकार को लेवी देते थे। चावल कारोबार में मंदी आने से भी राइस मिल उद्योग को नुकसान हुआ है। नगर में राईस मिलों की शुरुआत वर्ष 1980 में हुई और फिर बढ़ोतरी होती गई।


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