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छोटे कप्तान, गांव-गांव बना रहे पहलवान

रामपुर जिले में एक पुलिस अधिकारी ऐसे भी हैं जो अपनी डयूटी को अंजाम देने के साथ ही खेलो

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 11:19 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 11:19 PM (IST)
छोटे कप्तान, गांव-गांव बना रहे पहलवान
छोटे कप्तान, गांव-गांव बना रहे पहलवान

रामपुर: जिले में एक पुलिस अधिकारी ऐसे भी हैं, जो अपनी डयूटी को अंजाम देने के साथ ही खेलों को बढ़ावा देने की मुहिम चला रहे हैं। डिप्टी एसपी अनुज कुमार चौधरी पहलवान होने के साथ ही अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हैं।

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गांव में जाते हैं तो लोग उनकी कद काठी को निहारते रहते हैं। वह अक्सर थाने और गांव में मीटिग लेते हैं, जिसमें युवाओं को पढ़ाई के साथ ही खेल में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करते हैं। अपनी मिसाल देते हैं कि हमने पढ़ाई के साथ ही पहलवानी की और खेल कोटे से ही पुलिस अधिकारी बन गए। तमाम युवाओं को खेलों में आगे आना चाहिए। उनसे प्रेरणा लेकर कई गांवों में युवा पहलवानी के दांवपेच आजमा रहे हैं।

सीओ केमरी अनुज को बचपन से ही कुश्ती लड़ने का शौक रहा है। पढ़ाई के साथ भी उनका यह शौक जारी रहा। पहले गांव के अखाड़े में ही कुश्ती लड़ते रहे। बाद में स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी और फिर जिला स्तर की कुश्ती प्रतियोगिताओं में शामिल होने लगे। जिले की प्रतियोगिता जीतने ते बाद प्रदेश और देश स्तर की कुश्ती में भी शामिल हुए। बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाते रहे और एक के बाद एक प्रतियोगिताएं जीतते गए। भारत सरकार ने उन्हे अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया और खेल कोटे से ही पुलिस विभाग में सर्विस मिल गई। अब वह दूसरे युवाओं को कुश्ती के लिए प्रेरित करते हैं। वह गांवों में मीटिग के दौरान युवाओं को समझाते हैं कि पढ़ाई के साथ खेल जरूर खेलें। क्रिकेट, वालीबाल आदि खेलों के लिए मैदान के साथ ही संसाधनों की भी आवश्यकता होती है। लेकिन, कुश्ती के लिए केवल छोटे से अखाडे की जरूरत पड़ती है, इसलिए गांव में ही अखाड़ा बनाकर कुश्ती लड़ते रहें। वह युवाओं को कुश्ती लड़ने के टिप्स भी देते हैं। चमरौआ क्षेत्र के कई गांव में अखाड़े भी बना चुके हैं, जिसमें युवा कुश्ती लड़ रहे हैं और पहलवानी के दांवपेच सीख रहे हैं।

विदेशों में भी लड़ी कुश्ती

अनुज कुमार को दर्जनभर कुश्ती प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक मिल चुका है। वह देश ही नहीं नहीं विदेशों में भी कुश्ती प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं। बताते हैं कि उन्होंने जर्मनी, अमेरिका, पोलेंड, दक्षिणी कोरिया, ईरान, थाइलैंड, नेपाल, स्पेन, कनाडा, बुल्गारिया और मिश्र में भी कुश्ती लड़ी हैं। आज वह पहलवानी की बदौलत ही पुलिस विभाग में अफसर हैं। स्वस्थ रहने के लिए दूसरे युवाओं को भी पढ़ाई के साथ खेल जरूर खेलना चाहिए।


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