जल सरंक्षण की अनोखी विधि अपनाई, पैदावार भी बढ़ाई
मुस्लेमीन रामपुर बेनजीर गांव के सरदार वीरेंद्र सिंह ने जल संरक्षण की अनोखी विधि अपनाई है।
मुस्लेमीन, रामपुर : बेनजीर गांव के सरदार वीरेंद्र सिंह ने जल संरक्षण की अनोखी विधि अपनाई है। उन्होंने खेतों के बीच में तालाब बनाया है। तालाब में बारिश का पानी जमा करते हैं। तालाब हर समय भरा रहता है और जब भी फसल को जरूरत होती है, तब सिचाई कर देते हैं। तालाब से तेजी से पानी छोड़ा जाता है, जो शीघ्र में खेत में फैल जाता है। इस तरह सिचाई करने में पानी भी कम खर्च होता है और लेबर भी कम लगती है।
वीरेंद्र सिंह ने करीब एक एकड़ में तालाब बनाया है। इसके पास ही उनका करीब 20 बीघा में फार्म हाउस भी है। इसका बारिश का पानी भी तालाब में आता है। वह अपने खेत में धान व गेहूं की जैविक खेती करते हैं। बताते हैं कि तालाब से सिचाई करने से पानी खेत में तेजी से लगातार बहता है, जबकि नलकूप से सिचाई करने पर बिजली जाते ही सिचाई कार्य बंद हो जाता है और फिर बिजली आती है तो क्यारी में दोबारा पानी पहुंचता है। इस तरह पानी ज्यादा खर्च होता है, जबकि तालाब से सिचाई करने में पानी कम खर्च होता है। तालाब से सिचाई करने में आधा घंटे में एक बीघा फसल की सिचाई हो जाती है, जबकि नलकूप से सिचाई करने में दो घंटे लगते हैं। बारिश का पानी भी बर्बाद होने से बच जाता है। पानी बढ़ा रहा पैदावार
वीरेंद्र सिंह के तालाब के पास ही पशुशाला है, जिसमें दर्जनभर गाय भैंस पालते हैं। इनका मलमूत्र नाली के जरिये तालाब में आता है। इससे तालाब का पानी फसलों की पैदावार बढ़ाने में कारगर साबित होता है। उनका कहना है कि जब से तालाब के जरिये सिचाई कर रहे हैं तब से पैदावार लगभग दोगुनी हो गई है। वह जैविक खेती करते हैं और एक एकड़ में 30 क्विंटल धान एवं 22 क्विंटल गेहूं पैदा होते हैं। वीरेंद्र सिंह के खेती के तरीके को देखने के लिए दूर-दूर से कृषि वैज्ञानिक भी उनके खेतों पर आए हैं। कई बार उन्हे जिलाधिकारी ने भी सम्मानित किया है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी पिछले साल फरवरी माह में उनके खेत पर पहुंची थीं। उनके खेती के तरीके की जमकर तारीफ की थी।