वाह रे व्यवस्था, अफसरों की अनदेखी कर दी नजरअंदाज
रायबरेली : संपूर्ण समाधान दिवस में फरियादी बुजुर्ग दंपति के जमीन पर बैठने के मामले को नजरअंदाज किया जा रहा है। नोटिस को ढाल बनाकर इस प्रकरण में अधिकारी गोल मोल जवाब दे रहे हैं। शिकायत लेकर आने वाली जनता से इस तरह का व्यवहार करने वालों को बचाने की हर संभव कवायद उनके आला अफसर कर रहे हैं। इसको लेकर आम जनमानस में आक्रोश व्याप्त हो गया है।
शनिवार को नई बस्ती मजरे पखरौली से वृद्ध मोहनलाल अपनी पत्नी रामरती के साथ तहसील आए थे। दोनों काफी देर तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे। वृद्ध दंपति जब थक गए तो सभागार में ही जमीन पर बैठ गए और करीब 10 मिनट बैठे रहे। सभागार में उप जिलाधिकारी आशाराम वर्मा सहित कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। बुजुर्ग दंपति को जमीन पर बैठे कई अधिकारियों ने देखा भी, लेकिन किसी ने भी उन्हें उठाकर सम्मानित तरीके से उनकी बात सुनने की जहमत नहीं उठाई। कुछ देर बाद उनकी बारी आई तो वे खुद ही उठकर एसडीएम के समक्ष पेश हुए। एसडीएम ने भी उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं सुना और मामला विवादित बताकर वापस भेज दिया। इस खबर को दैनिक जागरण ने रविवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया तो तहसील के अधिकारियों में हलचल मची। आनन-फानन जमीन के प्रकरण में एक विद्यालय प्रबंधक को नोटिस भेज दी गई और सात दिनों में जवाब देने को कहा गया। ये तो बात हो गई बुजुर्ग दंपति की शिकायत की, लेकिन जब वे जमीन पर बैठे थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, उस वक्त सरकारी हुक्मरानों ने जो किया, उस पर अधिकारी सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं। कार्रवाई तो दूर, उनसे सवाल-जवाब भी नहीं किया जा रहा है। इस तरह सरेआम जनता अपमानित होती रहेगी तो फिर कैसे चलेगा, यही बात सोचकर आम जनमानस में असंतोष व्याप्त है।
- भूमिधरी जमीन पर कब्जे का है मामला
मोहनलाल ने बताया कि करीब 15 साल पहले उनकी व उनके भाई की जमीन पर निजी विद्यालय के प्रबंधक ने कब्जा कर लिया। तब से वह अपनी जमीन पाने के लिए भटक रहा है। अधिकारी लगातार उसे टरका रहे हैं। जन सुनवाई हो या समाधान दिवस, कहीं से भी उसे न्याय नहीं मिल रहा है।
ये प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं है। एडीएम वित्त एवं राजस्व से इस मामले में रिपोर्ट मांगी जाएगी।
प्रभाष कुमार, प्रभारी जिलाधिकारी