कैसी व्यवस्था.. मुखाग्नि देते ही घाट से हटा दीं कुर्सियां, तस्वीर वायरल
देश की रक्षा की खातिर कुर्बानी देने वाले वीर जवान के अंतिम संस्कार के लिए नगर पंचायत ने व्यवस्था की
रायबरेली : देश की रक्षा की खातिर कुर्बानी देने वाले वीर जवान के अंतिम संस्कार के लिए नगर पंचायत ने व्यवस्था की। घाट किनारे करीब 100 कुर्सियां रखवाईं गईं ताकि, अफसर और परिवारजन बैठ सकें। बलिदानी की चिता को मुखाग्नि दी गई, इसके बाद अफसर वहां से चले गए। अफसरों के जाते ही घाट किनारे रखीं कुर्सियां हटा दी गईं। ऐसे में लोग लकड़ी और ईंट के सहारे भूमि पर बैठे। यहां तक कि बलिदानी बेटे के पिता को भी घाट किनारे बनी सीमेंटेड बेंच का सहारा लेना पड़ा। इस संबंध में तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो चर्चाएं शुरू हो गईं। हर कोई व्यवस्थापकों को कोस रहा है। अधिशासी अधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया कि कुर्सियां धूप में पड़ी थीं, उन्हें हटाकर ऊपर छांव में रखवा दिया गया था। नगर पंचायत के दो कर्मचारी आशीष कुमार श्रीवास्तव और संजय को जिम्मेदारी दी गई थी। दोनों मौजूद भी रहे।
उपजिलाधिकारी सविता यादव ने बताया कि कुर्सियां घाट पर ही थीं, कोई कहीं बैठ जाए, इसके लिए हम कुछ कह नहीं सकते। हम पूरा समय घाट पर रहे। अंतिम संस्कार के बाद परिवारजन ने डलमऊ प्रशासन को धन्यवाद दिया। डलमऊ कोतवाली पुलिस परिवारजनों को उनके घर तक छोड़ने भी गई।
इनसेट-
पिता को सौंपा तिरंगा
मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानी को तिरंगा में लपेटा गया था। अंतिम संस्कार के समय सीआरपीएफ के जवानों ने झंडे को पूरे सम्मान के साथ लपेटा और अफसर ने शैलेंद्र के पिता को सौंप दिया।
अफसरों ने दी सलामी
बलिदानी बेटे को पहले मीरमिरानपुर गांव में सीआरपीएफ के अफसरों और जवानों ने सलामी दी। घाट पर पार्थिव शरीर पहुंचा तो अफसरों ने पुष्पचक्र चढ़ाकर गार्ड ऑफ आनर दिया। बड़ा मठ के ब्रह्मचारियों द्वारा स्वस्तिवाचन का उच्चारण किया गया। पार्थिव शरीर को चिता पर लिटाया गया। फिर शस्त्र सलामी दी गई।