21720 हेक्टेयर तिलहनी फसल पर मौसम की मार
- गलन और सर्द हवाओं ने बढ़ाई किसानों की चिता - पाला से पीली पड़ रही फसल आलू पर भी संकट
रायबरेली : बदले मौसम से अन्नदाताओं की मुसीबतें बढ़ गई हैं। गलन और सर्द हवाओं से तिलहन की 21720 और आलू की छह हजार हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ गया है। केले की फसल पाला के कारण पीली पड़ने लगी। अन्नदाता फसल बचाने को हर जतन करने में जुटे हैं। वहीं, गेहूं की फसल के लिए मौसम काफी बेहतर है।
जिले में करीब साढ़े चार लाख किसान हैं, जो रबी के सीजन में सबसे ज्यादा गेहूं की खेती करते हैं। तिलहनी और आलू की खेती भी काफी संख्या में किसान करते हैं। सलोन का आलू बिहार, झारखंड समेत अन्य जगह काफी पसंद किया जाता है। इन किसानों के लिए यह समय मुसीबत भरा है। सरसों की फसल में फूल आ चुके और आलू की फसल भी तैयार हो रही है, लेकिन गलन और सर्द हवाओं से इनमें रोग लगने का खतरा बढ़ गया है। गेहूं, चना, मटर के लिए यह मौसम काफी बेहतर है।
इन फसलों को नुकसान
फसल रकबा (हेक्टेयर में)
तोरिया 12750
सरसों 8970
आलू 6000
इन फसलों के लिए लाभदायक
फसल रकबा (हेक्टेयर में)
चना 5435
मटर 2847
गेहूं 133919
इनकी सुनें, काफी ठंड पड़ने से आलू में झुलसा और सरसों में माहू का खतरा बढ़ जाता है। केला और पपीता में भी पीलापन आने लगा है। किसान लगातार खेतों की निगरानी करें। खेतों में रोग का प्रकोप दिखे तो समय रहते दवा का छिड़काव करें।
आरके कनौजिया, कृषि विशेषज्ञ