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गंगा का जलस्तर बढ़ते ही ग्रामीणों की धड़कनें तेज

रायबरेली : डलमऊ तहसील क्षेत्र में प्रतिवर्ष बारिश के दिनों में गंगा अपना रौद्र रूप दिखाती है। गं

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 11:51 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 11:51 PM (IST)
गंगा का जलस्तर बढ़ते ही ग्रामीणों की धड़कनें तेज
गंगा का जलस्तर बढ़ते ही ग्रामीणों की धड़कनें तेज

रायबरेली : डलमऊ तहसील क्षेत्र में प्रतिवर्ष बारिश के दिनों में गंगा अपना रौद्र रूप दिखाती है। गंगा की बाढ़ की चपेट में आने से कटरी की सैकड़ों बीघा जमीन जलमग्न हो जाती है।

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इस बार भी गंगा जलस्तर का बढ़ना शुरू हो गया है। इसके साथ ही कटरी क्षेत्र के बा¨शदों और तहसील प्रशासन की धड़कनें तेज होने लगी हैं। गंगा में बाढ़ प्रतिवर्ष जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के प्रथम सप्ताह से प्रारंभ होकर सितंबर माह तक रहती है। इस दौरान गंगा में कभी जलस्तर अधिक तो कभी कम होने का क्रम चलता रहता है। इस दौरान स्थानीय प्रशासन द्वारा बाढ़ पर नजर रखने के लिए बाढ़ चौकियों की स्थापना व नाविकों की तैनाती आदि का प्रयास किया जाता है। बाढ़ प्रभावित गांव

चक, मलिक भीटी, पूरे डंगरी, झंडापर, जहांगीराबाद, जमालनगर मोहद्दीनपुर, अम्बहा, घुसुवा, बबुरा, पूरे रेवती ¨सह, डलमऊ आदि गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें बाढ़ का खतरा मंडराया करता है। अंधेरे में रहते हैं ग्रामीण

बाढ़ की जद में आने वाले गांवों में बरसात के दिनों में विद्युत आपूर्ति बाधित हो जाती है। इससे ग्रामीणों के सामने जहरीले जलीय जीवों का खतरा मंडराने लगता है। प्रधान राकेश द्विवेदी, ग्रामीण दिनेश गुप्ता, श्याम लखन, संजीव कुमार आदि ने बताया कि समस्या को लेकर कोई गंभीर नहीं है।

बाढ़ से नुकसान

हर साल बाढ़ की चपेट में आने से सैकड़ों बीघा धान, तिल्ली, ज्वार, बाजरा, उड़द, मूंग आदि की फसलें चौपट हो जाती हैं। इनका मुआवजा भी चार वर्षो से नहीं मिला है। तहसील प्रशासन की नजर में गंगा से बाढ़ से बीते चार वर्षों में क्षति शून्य रही है, जबकि धरातल पर सैकड़ों किसानों की फसलें बाढ़ की चपेट में आने से चौपट हो चुकी हैं।

यहां बनती हैं बाढ़ निगरानी चौकियां

तहसील प्रशासन की ओर से गंगा के जलस्तर के उतार-चढ़ाव पर नजर बनाए रखने के लिए कनहा, जमाल नगर मोहद्दीनपुर, डलमऊ आदि स्थानों पर चौकियों की अस्थाई स्थापना कर लेखपालों की तैनाती की जाती है। डलमऊ उपजिलाधिकारी प्रदीप कुमार वर्मा ने बताया कि गंगा में बाढ़ से निपटने के लिए तहसील प्रशासन बाढ़ आने के पूर्व ही अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे देता है, जिससे बाढ़ के दौरान ग्रामीणों को होने वाली बड़ी क्षति से बचाया जा सके।


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