मतदाता सूची का पुनरीक्षण पूरा, आज जारी होगी फाइनल लिस्ट
रायबरेली त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अंतिम मतदाता सूची का शुक्रवार को प्रकाशन होगा। इसी के
रायबरेली : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अंतिम मतदाता सूची का शुक्रवार को प्रकाशन होगा। इसी के साथ कई महीनों से चल रहा मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य भी पूरा हो जाएगा। पूरे दिन अफसर इसी की तैयारियों में व्यस्त रहे।
ग्राम प्रधानों, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव होना है। इसी के तहत पिछले कई महीनों से वोटर लिस्ट तैयार की जा रही है। 27 दिसंबर को अनंतिम मतदाता सूची जारी हुई। इसके बाद तीन जनवरी तक आपत्तियां ली गईं। इनके निस्तारण और खामियां को दूर करने के बाद प्रूफ रीडिग के लिए वोटर लिस्ट तहसीलों में भेजी गई थी। तहसीलों से हरी झंडी मिली तो प्रिटिग के लिए भेज दी गई। अब शुक्रवार को अंतिम सूची प्रकाशित होनी है। इसके लिए महकमे के अधिकारी और कर्मचारी पूरे दिन जुटे रहे। सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी आरके शुक्ल टीम के साथ सुबह ही लखनऊ रवाना हो गए। बताते हैं कि इसी सिलसिले में वहां पूरे दिन डटे भी रहे।
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उपद्रव के पीछे ओछी राजनीति, गांव में फैली अशांति
सलोन : दो पक्षों के बीच बढ़ी तनातनी और उपद्रव के पीछे गंवई राजनीति की बात सामने आ रही है। गैर इरादतन हत्या के प्रकरण में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी अंदरखाने एक पक्ष के लोगों को उकसाने का काम होता रहा। यही नतीजा रहा कि मामूली मारपीट के बाद हालात इस कदर बिगड़े की स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। मसौदाबाद गांव के अधिकांश लोग घर छोड़कर भागे हुए हैं और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
झगड़े की शुरुआत 13 जनवरी को हुई। अमन को समीर और उसके जीजा ने किसी बात को लेकर पीट दिया। इलाज के दौरान उसकी मौत हुई तो 15 जनवरी को सलोन कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। तब से आरोपित परिवारीजनों सहित गांव से दूर कहीं सुरक्षित जगह रह रहे हैं। समीर की बाइक भी गांव में छूटी हुई थी। वही लेने के लिए उसने अपने रिश्तेदारों को भेजा था। अमरेश ने विरोध किया तो उसे पीट दिया गया। गांव में शांति चाहने वाले लोग सूची चौराहे पहुंचे और आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे। इसके उलट, गाव में मौजूद कुछ अराजकतत्वों ने भीड़ को भड़काया और तोड़फोड करा डाली। वोटों की राजनीति के लिए ऐसा कराया गया, ये कहना है कि गांव के कुछ बुद्धिजीवियों का। उनकी मानें तो जब पुलिस प्रकरण की जांच कर रही थी तो विवाद बढ़ाने की जरूरत क्या थी। अब तो वो लोग भी घर से भागे हुए हैं, जो इस उपद्रव में शामिल भी नहीं थे। पूरे गांव का माहौल खराब कर दिया गया।