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धरती पर बरस रही आग, 44.6 पर पहुंचा पारा

रायबरेली : जेठ की तपन ने लोगों को बेहाल कर दिया है। भीषण गर्मी के कारण बुरा हाल है। घर तप रहे हैं और

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 12:15 AM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 12:15 AM (IST)
धरती पर बरस रही आग, 44.6 पर पहुंचा पारा
धरती पर बरस रही आग, 44.6 पर पहुंचा पारा

रायबरेली : जेठ की तपन ने लोगों को बेहाल कर दिया है। भीषण गर्मी के कारण बुरा हाल है। घर तप रहे हैं और पेड़ों की छांव में भी राहत नहीं मिल रही है। लू चलने से लोगों को शरीर झुलसाने वाली गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। रात में भी राहत नहीं मिल रही है। गर्म हवाएं चलने से रात में भी पसीना टपक रहा है।

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गुरुवार रात आंधी आने से गर्मी से फौरी राहत मिली। लेकिन, तुरंत बाद ही पारा फिर चढ़ गया। शुक्रवार सुबह गर्मी पुराने अंदाज में नहीं पड़ी लेकिन आठ बजे के बाद गर्मी ने पसीने से तरबतर कर दिया। सुबह सात बजे जहां अधिकतम तापमान 28 डिग्री रहा, वहीं एक घंटे बाद यह 31 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। 10 बजे पारा 36 डिग्री पर पहुंच गया था। उसके बाद सूर्य की किरणें तल्ख होती गई और तापमान 44.6 डिग्री पहुंच गया। दोपहर में हालत ये ये रही कि सड़क पर सन्नाटा पसरा रहा। धूप व लू इस कदर तेज थी कि सड़क पर चलना मुश्किल नजर आया। गर्मी क कारण दोपहर दो बजे से चार बजे तक अब बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद होने लगे हैं। सबसे अधिक मुसीबत उन दुकानदारों को सामने है, जिनकी दुकानें हाईवे पर हैं। 27 दिन तक राहत के आसार नहीं

इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी के मुताबिक गर्मी से अभी राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। वहीं, दिल्ली मौसम विभाग के मुताबिक 27 तक हीट लाइन अलर्ट है। इस दौरान लू चलेगी। साथ ही तापमान में भी बढ़ोतरी होगी। तालाबों में उड़ रही धूल, पानी के लिए हाय-तौबा

संवादसूत्र, डलमऊ : भीषण गर्मी में ग्रामीणों को पेयजल के लिए लंबी दौड़ लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है बेजुबान मवेशियों के सामने भी पेयजल का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। तालाबों में पानी के स्थान पर धूल उड़ रही है। इसके बावजूद स्थानीय अधिकारी इस गंभीर समस्या से बेखबर हैं। ग्राम पंचायतों में तैनात सचिवों की मानें तो तालाबों में पानी भरवाने के लिए धन नहीं आता। इसीलिए तालाब में पानी भरवाने की विभाग के पास कोई व्यवस्था नहीं है। डलमऊ तहसील क्षेत्र में कुल 48 आदर्श तालाब व 275 सामान्य तालाब हैं। कमोबेश 80 प्रतिशत तालाब स्वयं ही प्यासे हैं। 40 फीसद तालाब साफ-सफाई के अभाव में जंगली खरपतवार की गिरफ्त में हैं। इस कारण तालाबों तक पहुंचना भी कठिन है। आदर्श तालाबों पर गौर किया जाए तो लगभग 60 फीसद तालाब ऐसे स्थानों पर बनाए गए है, जहां उनकी उपयोगिता शून्य है। आदर्श तालाबों के निर्माण में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए गए फिर भी उक्त तालाब प्यासे है। इस बाबत खंड विकास अधिकारी बदलू गुप्ता ने बताया कि शीघ्र ही तालाबों में पानी भरवाने के प्रयास किए जाएंगे। जो तालाब सफाई के लायक हैं, उन्हें साफ भी कराया जाएगा।


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