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फसल बचाएं या राहगीरों की जान, असमंजस में फंसे किसान

ऊंचाहार में बेसहारा मवेशी आमजन के लिए बन गए मुसीबत। आए दिन होते सड़क हादसे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 04:01 AM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 04:01 AM (IST)
फसल बचाएं या राहगीरों की जान, असमंजस में फंसे किसान
फसल बचाएं या राहगीरों की जान, असमंजस में फंसे किसान

फसल बचाएं या राहगीरों की जान, असमंजस में फंसे किसान

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लालजी शुक्ल, रायबरेली : बेसहारा मवेशी एक बड़ी समस्या बन गए हैं। यह जब खेतों में जाते हैं तो फसल तबाह कर देते हैं, वहां से खदेड़ो तो सड़कों पर आकर राहगीरों के लिए काल बन जाते हैं। किसान भी असमंजस में हैं कि फसल बचाएं या राहगीरों की जान। स्थायी और अस्थायी को मिलाकर आठ गोशालाएं यहां हैं। इनमें पहले से ही क्षमता से अधिक गोवंश रखे गए हैं। जबकि, इससे कहीं अधिक बेसहारा मवेशी खुलेआम विचरण कर रहे हैं। 150 से 200 मवेशियो के झुंड जिस भी खेत में घुसते हैं, फिर वहां से उत्पादन की उम्मीद नहीं रहती। जब यह सड़कों पर पहुंचते हैं तो हादसों का सबब बन जाते हैं। पिछले दो महीने के अंदर ही तीन राहगीरों की जान चली गई। वहीं दर्जन भर से अधिक घायल हुए। केस एक - 16 जून स्थान - कुतूपुर जगतपुर निवासी सुशील कुमार चौरसिया अपनी पत्नी को लेने थुलरई गए थे। वहां से वापस लौटते समय जगतपुर-डलमऊ मार्ग पर एक बेसहारा मवेशी उनके सामने आ गया। उससे टकराकर वह घायल हो गए। बाद में इलाज के दौरा जिला अस्पताल में मौत हो गई। केस दो- 12 जुलाई स्थान - नवाबगंज सराय हरदो निवासी श्रवण कुमार अपने मौसा ननकू पाल निवासी पूरे केसरी, जगतपुर के साथ बाइक से रायबरेली से वापस लौट रहे थे। लखनऊ-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग पर मवेशी से टकरा गए थे। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। केस तीन- 13 जुलाई स्थान - चड़रई चौराहा जगतपुर के चंदौली धर्मदासपुर की रहने वाली पुष्पा सिंह अपने बेटे के साथ गोकना घाट गंगा स्नान करने आई थीं। वापस लौटते समय मवेशी से टकरा गईं, जिसमें पुष्पा देवी की मौके पर ही मौत हो गई थी। --- आंकड़े गोशाला - क्षमता - मवेशी वृहद गोशाला, कोटरा बहादुरगंज - 80 - 105 गाेकर्ण ऋषि गोशाला, पट्टी रहस कैथवल - 270 - 300 कृष्णा गोशाला, पट्टी रहस कैथवल - 200 - 215 कांजी हाउस, सुदामापुर - 150 - 206 अस्थायी गोशाला, धूता - 100 - 180 निराश्रित अस्थायी पशु आश्रय स्थल, इटौरा बुजुर्ग - 65 - 86 निराश्रित अस्थायी पशु आश्रय स्थल, परसी पुर - 90 - 102 कांजी हाउस, उमरन - 170 - 180 वर्जन बेसहारा मवेशियों के लिए बनाई गईं गोशालाएं पर्याप्त नहीं हैं। इनमें पहले से ही क्षमता से अधिक मवेशी संरक्षित हैं। तीन से चार बड़ी गोशालाएं और बनाई जाएंगी, जिसमें 25 से 30 हजार गोवंश संरक्षित हो सकेंगे। डा. अर्चना सिंह, पशु चिकित्सक, बाबूगंज सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा से गोशालाएं बनवाने के निर्देश दिए गए हैं। इनके तैयार होने तक ग्राम प्रधानों को बाड़ा बनवाकर उनमें मवेशियों को संरक्षित करने के लिए कहा गया। इसका भुगतान मनरेगा से कराया जाएगा। आशीष कुमार मिश्र, एसडीएम, ऊंचाहार


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