गुलाब सी खिल उठी जीवन की बगिया
रायबरेली : पढ़ाई-लिखाई के बाद नौकरी नहीं, फैक्ट्री या दुकान भी नहीं, सिर्फ खेती-किसानी। जी
रायबरेली : पढ़ाई-लिखाई के बाद नौकरी नहीं, फैक्ट्री या दुकान भी नहीं, सिर्फ खेती-किसानी। जी हां, सचमुच ऐसी लगन लगी कि उनकी जीवन की बगिया गुलाब सी खिल उठी। यही नहीं, उन्होंने कई जरूरतमंदों को रोजगार भी दिया है। अब फूलों की खेती से वे हरी-भरी ¨जदगी बिता रहे हैं। लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बन रहे हैं।
बात करते हैं डीह ब्लाक के डीह गांव निवासी राजेंद्र बहादुर ¨सह की। उनके दो बेटे हैं, यदुनाथ शरण ¨सह और रघुनाथ शरण ¨सह। यदुनाथ ने एलएलबी की पढ़ाई की और वकालत शुरू की, जबकि उनके भाई खेती करते रहे। वकालत में ज्यादा दिन तक यदुनाथ का मन नहीं लगा। वे खेती-किसानी में ही अपनी ¨जदगी तलाशने लगे। उन्होंने फूलों की खेती की राह पकड़ी। पहले करीब ढाई बीघे में गुलाब लगाए। फिर जिला उद्यान अधिकारी के प्रयास से एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत गुलाब के फूलों की खेती के लिए 50 लाख 80 हजार रुपये का ऋण मिला। जिसमें सरकार से अनुदान भी पाया। दो हजार वर्ग मीटर का पाली हाउस होने के बाद भी उस धन से चार हजार वर्ग मीटर में एक और पाली हाउस बनवाया। दोनों पाली हाउस में पुणे से 42 हजार गुलाब के पौधे मंगवा कर लगवाए। जिसके बाद चार महीने में फूलों का उत्पादन शुरू हो गया।
करीब दस हजार रुपये रोजाना बेचते हैं फूल
यदुनाथ ¨सह के बेटे आकाशदीप ¨सह बताते हैं कि बीते दिसंबर से गुलाब लखनऊ की मंडी में भेजने लगे हैं। राजधानी के चौक इलाके के कंचन मार्केट के तीन-चार लोग इस समय के बड़े खरीदार हैं। यहां पाली हाउस में करीब 750 कलियां रोजाना काटते हैं। उन्हें बंच बनाकर भेजा जाता है। एक फूल की कीमत ऑफ सीजन में 10 और सीजन में 15-18 रुपये तक हो जाती है।