बि¨ल्डग धवस्त किए बगैर फिर लौटा आरडीए दस्ता
जासं, रायबरेली : पुलिस और प्रशासन के साथ शनिवार को अवैध निर्माण गिराने पहुंचा रायबरेली विक
जासं, रायबरेली : पुलिस और प्रशासन के साथ शनिवार को अवैध निर्माण गिराने पहुंचा रायबरेली विकास प्राधिकरण (आरडीए) का दस्ता काम पूरा किए बिना ही लौट गया। न तो किसी तरह का कोई विरोध दिखा और न ही किसी ने हंगामा किया। हर स्थिति से निपटने के लिए पुलिस और प्रशासन मुस्तैद था। फिर भी आरडीए की टीम ने उठाए गए कदम को अंजाम तक पहुंचाना उचित नहीं समझा।
शहर के सिविल लाइंस इलाके में महमूद आलम ने दो मंजिल की अवैध इमारत बनवाई है। इसका नक्शा पास नहीं कराया गया है। जमीन भी विवादों से घिरी हुई है। आरडीए के सचिव ने इसे गिराने के आदेश तो पहले ही दे दिए थे, लेकिन आरडीए के अफसरों ने इस पर अमल नहीं किया। पिछले महीने दौरे पर आए प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी ने शिकायत मिलने पर फटकार लगाई थी। इसी के बाद शनिवार को आरडीए के सचिव एके राय के निर्देश पर एक्सईएन डीपी मौर्य भारी-भरकम टीम के साथ दो जेसीबी मशीन लेकर मौके पर पहुंचे। सिटी मजिस्ट्रेट जयचंद्र पांडेय और शहर पुलिस भी मौजूद थीं। करीब डेढ़ घंटे तक दोनों जेसीबी मशीनें चलती रहीं, लेकिन पूरी इमारत नहीं गिर सकी। एक तो इमारत ऊंची और दूसरे अंडर ग्राउंड में निर्माण। इसी के चलते मशीनें पूरी इमारत नहीं गिरा सकीं। नतीजतन, टीम को काम अधूरा छोड़कर वापस लौटना पड़ा। आरडीए की टीम में एई एम. अहमद, जेई सुनील त्यागी, महेंद्र शर्मा, धनेश कुमार, रवीश अग्रवाल और आरएन ¨सह समेत अन्य कर्मचारी शामिल थे। सात महीने तक दबा रहा आदेश
रायबरेली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संजय खत्री ने बीती सात मार्च को महमूद आलम की अवैध इमारत के ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था। इसके बाद एक महीने का वक्त बिल्डर को दिया गया कि वह खुद गिरा लें। मगर, इमारत नहीं गिरी। फिर अधिकारी फाइल दबाए बैठे रहे। मामले ने तूल पकड़ा तो चार मई को टीम जेसीबी लेकर पहुंची थी। लेकिन बिल्डर ने हंगामा खड़ा कर दिया। विरोध और धमकियों के आगे अफसरों को झुकना पड़ा था। पिछली भूल से नहीं लिया सबक
पिछली बार भी टीम जेसीबी मशीन लेकर पहुंची थी। कहा गया था कि इस इमारत को गिराने के लिए जेसीबी मशीन काफी नहीं है। पोकलैंड या अन्य दूसरी बड़ी मशीनें चाहिए। इसी को बहाना बनाकर टीम पिछली बार कार्रवाई पूरी किए बिना लौटी थी। टीम ने पिछली बार की नाकामी से सबक लेना उचित नहीं समझा और इस बार भी जेसीबी मशीनें भेज दीं, जो ध्वस्तीकरण में नाकाम रहीं। अपनों पर नहीं था भरोसा
आरडीए की टीम में अभियंता से लेकर कर्मचारी तक थे। इन्हें सिर्फ इतनी जानकारी दी गई थी कि अवैध निर्माण गिराया जाना है। यह निर्माण कौन सा है, यह जाहिर नहीं किया गया था। शायद अफसरों को अपने ही मातहतों पर भरोसा नहीं था। आशंका थी कि कार्रवाई से पहले ही यह बात बाहर तक पहुंच सकती है। यदि ऐसा हुआ तो कार्रवाई में अड़चनें आएंगी। यही कारण था कि अफसरों ने पूरी योजना गुपचुप तरीके से बनाई। जहां तक जेसीबी मशीनें पहुंच सकीं, वहां तक निर्माण गिराया गया। इसके बाद मशीनें भी निर्माण को गिराने में नाकाम साबित हुईं। इसलिए टीम वापस लौट आई। अब आगे की कार्रवाई के लिए कोई दूसरा रास्ता निकाला जाएगा।
-एके राय, प्रभारी सचिव, आरडीए