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रावण वध के साथ लगे जय श्रीराम के जयकारे

संसू, खीरों (रायबरेली) : विकास क्षेत्र के कस्बा खीरों में चल रही ग्यारह दिवसीय रामलीला का

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 05:21 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 05:21 PM (IST)
रावण वध के साथ लगे जय श्रीराम के जयकारे
रावण वध के साथ लगे जय श्रीराम के जयकारे

संसू, खीरों (रायबरेली) : विकास क्षेत्र के कस्बा खीरों में चल रही ग्यारह दिवसीय रामलीला का सोमवार रात रावण वध के साथ समापन हो गया। स्थानीय कलाकारों द्वारा रावण वध, सीता-राम मिलन, राम की अयोध्या वापसी, राम का राजतिलक आदि का सुन्दर मंचन किया गया। इस दौरान 40 फुट से अधिक ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। इस अवसर पर आतिशबाजी को देखने के लिए कई गांवों की भीड़ उमड़ी।

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सोमवार रात रामलीला में रावण वध का पहले मंचन हुआ। राम ने जब रावण के समूचे कुल का संहार कर दिया तो रावण स्वयं युद्ध के मैदान में भगवान राम और लक्ष्मण के सामने आ गया। राम-रावण का भीषण युद्ध हुआ। इस दौरान विभीषण ने राम को बताया कि रावण की नाभि में अमृत है। इस भेद को जानकर राम ने एक साथ 31 बाण छोड़े, जिससे रावण धराशायी हो गया। रावण की मौत के बाद विभीषण पूरे सम्मान के साथ सीताजी को राम के पास लेकर पहुंचे। राम-सीता के मिलन से रामादल में खुशी छा गयी। राम पुष्पक विमान से अयोध्या वापस पहुंचे, जहां गुरु वशिष्ठ ने उनका राज तिलक किया। यह दृश्य देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। ..का चुपि साधि रहे बलवाना

संसू, परशदेपुर : नगर पंचायत परशदेपुर की रामलीला मैदान में हनुमान के लंका प्रवेश व लंका दहन का सुंदर मंचन किया गया। अशोक वाटिका में रावण ने सीता को भयभीत किया तथा अपनी अनुचरी को सीता को मनाने के लिए एक मास का समय दिया। इधर, जामवंत आदि ने हनुमानजी को प्रेरित किया। हनुमान जी सीता की खोज में अशोक वाटिका पहुंचे तथा राम की मणि मुंदरी सीताजी को दिया। हनुमान जी ने एक नन्हे बालक की भांति मां से भूख लगने की जिज्ञासा की तथा फल तोड़कर खाने की अनुमति मांगी। माता सीता ने कहा कि यहां के रखवाले राक्षस निर्दयी हैं। हनुमानजी ने कहा मुझे उनका कोई भय नहीं। मां से अनुमति पाकर हनुमानजी बाग को उजाड़ने लगे। रोकने पर रखवालों को हमला कर दिया। रखवालों ने अक्षय को बुलाया तो हनुमानजी ने उसे मार दिया। रावण ने यह सूचना पाकर मेघनाद को भेजा। मेघनाद हनुमानजी को ब्रह्मास्त्र में बांधकर रावण के सामने प्रस्तुत किया। रावण ने मृत्यदंड को विभीषण के परामर्श को मानकर पूंछ जलाने का आदेश दिया। हनुमानजी ने लंका दहन कर दिया। इस अवसर मौके पर कमेटी के अध्यक्ष घनश्याम मिश्र, रामबक्श, सरोज, ¨रकू मिश्र, श्रीकांत त्रिवेदी, राम आसरे मिश्र, रामेश्वर गुप्ता, भोलानाथ तिवारी आदि मौजूद रहे।


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