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बदला मौसम का मिजाज, मुरझाए किसानों के चेहरे

बेमौसम बरसात से किसानों के माथे पर चिता की लकीरें साफ देखने को मिल रही हैं। महाशिवरात्रि के दिन बारिश और ओला गिरने के बाद जब धूप खिली तो शनिवार को कुछ पल के लिए अन्नदाताओं के चेहरे पर भी खुशी जरूर छा गई। उन्हें उम्मीद जगी कि धूप से अब फसलों का बचाव होगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 06:06 AM (IST)
बदला मौसम का मिजाज, मुरझाए किसानों के चेहरे
बदला मौसम का मिजाज, मुरझाए किसानों के चेहरे

रायबरेली : बेमौसम बरसात से किसानों के माथे पर चिता की लकीरें साफ देखने को मिल रही हैं। महाशिवरात्रि के दिन बारिश और ओला गिरने के बाद जब धूप खिली तो शनिवार को कुछ पल के लिए अन्नदाताओं के चेहरे पर भी खुशी जरूर छा गई। उन्हें उम्मीद जगी कि धूप से अब फसलों का बचाव होगा। दोपहर बाद फिर हवाओं का रुख बदला और आसमान में बादल छाने लगे तो खुशी काफूर हो गई। किसानों के अनुसार अचानक हुई बारिश से दलहनी फसलों के साथ-साथ गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। यदि और बारिश हुई तो तो घर तक अनाज पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा।

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गुरुवार रात से मौसम ने करवट ली थी। तेज हवाओं के साथ बारिश तो कुछ जगह ओले भी गिरे। इससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। पानी से चना, मटर, सरसों और गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। जिन खेतों में गेहूं के पौधे बढ़ गए थे। तेज हवा से फसल गिर गए। अब एक बार फिर मौसम बदला है। इससे किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। इनसेट

गेहूं के फसल गिरी, खेतों में भरा पानी

सतांव के किसान जगदीश मौर्य का कहना है कि गेहूं की फसल गिर गई है। खेतों में पानी भरा है। जिससे नुकसान होना तय है। आशानंदपुर के मिथिलेश शर्मा का कहना है कि गेहूं के साथ ही सरसो, टमाटर, चने की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। किसान बब्बन पंडित ने बताया की गेहूं की सिचाई किसान पहले कर चुके थे। अब गेहूं के पौधों में बालिया निकल रही है। ओले, बारिश और हवा के झोकों के कारण खेतों में नमी है जिससे फसल खेतों में गिर गई है। किसान सुख सागर बाजपेई ने बताया की गिरी हुई फसल अब दोबारा खड़ी नहीं हो सकती। इनकी सुनें,

बरसात से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। धूप निकलने से राहत मिलेगी। मौसम का रुख फिर बदला तो गेहूं, सरसो समेत अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचना तय है। किसान खेतों में पानी न रुकने दें। मेड़ काटकर बाहर निकालें।

आरके कनौजिया, कृषि विशेषज्ञ


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