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अपनों ने ठुकराया, थानेदार बने सहारा

रायबरेली: साहब, बहू खाना नहीं देती। ठंड से बचने के लिए कपड़े और बिस्तर भी ताले में रख दिए

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 12:04 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 12:04 AM (IST)
अपनों ने ठुकराया, थानेदार बने सहारा
अपनों ने ठुकराया, थानेदार बने सहारा

रायबरेली: साहब, बहू खाना नहीं देती। ठंड से बचने के लिए कपड़े और बिस्तर भी ताले में रख दिए हैं। पति भी मदद नहीं करता। मदद करिए.. बुधवार को थाने पहुंची वृद्धा की ये बातें सुन थानेदार का कठोर दिल भी पसीज गया। उन्होंने न सिर्फ उसे आवश्यक वस्तुएं मुहैया करायी, उसके घरवालों को भी डपट लगायी।

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वैसे अपनी कार्यशैली को लेकर विवादों में रहने वाली पुलिस के इंस्पेक्टर ने बुधवार को मानवता की मिसाल पेश की। उन्होंने वर्दी के प्रति अपनी निष्ठा को दर्शाया। क्षेत्र के पूरे सरबजीत मजरे जगदीशपुर की रहने वाली सूरजदेई पत्नी रामबहादुर दोपहर में थाने आयी। वह बहुत परेशान थी। साथ ही अपने घरवालों के बर्ताव से आहत भी। जब थानेदार ने उससे पूछा कि माता जी, क्या हुआ। तब वृद्धा फूट पड़ी। बोली, इतनी ठंडी पड़ रही है। घरवाले न तो खाना देते हैं और न बिस्तर। यहां तक की स्वेटर और शाल भी ताले में रख दिया। यह सुन एसओ ने तुरंत भोजन मंगाया। वृद्धा को खाना खिलाने के बाद उसे लेकर बाजार गए। वहां से रजाई, गद्दा और ऊनी वस्त्र दिलाए। फिर वह सूरजदेई के साथ उसके घर पहुंचे। घर पर मौजूद उसकी बहू और पति को जमकर डांटा। कहा, अगर भविष्य में वृद्धा को तकलीफ दी तो मुकदमा दर्ज कर जेल भेज देंगे। साथ ही वृद्धा को भी आश्वस्त किया कि अब दिक्कत नहीं आनी चाहिए। फिर भी अगर कुछ गलत हो तो तुरंत बताना।

वैसे इंस्पेक्टर लालचंद्र सरोज कठोर स्वभाव के निरीक्षकों में गिने जाते हैं। मगर उनकी मानवीय संवेदनाओं के लिए ये उदाहरण ही काफी है। वृद्धा के प्रति उनका करुणाभाव क्षेत्र में उनकी वाहवाही करा रहा है।


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