सरकार को लगा दी 142 करोड़ की चपत
अमेठी : इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी (इग्रुआ) के निदेशक ने सरकार को जमीन के खेल में 142 क
अमेठी : इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी (इग्रुआ) के निदेशक ने सरकार को जमीन के खेल में 142 करोड़ से अधिक की चपत लगा दी है। साल 2013 में इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी फुरसतगंज को राष्ट्रीय उड़ान विवि के रूप में विकसित करने के लिए लगने वाली जमीन की अनुमानित व्यय 142.88 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार द्वारा बताई गई थी। इसके लिए प्रदेश सरकार की तात्कालिक सचिव अनीता सिंह ने विमानन मंत्रालय भारत सरकार के सचिव को पत्र भी लिखा था। तीन साल बाद गुपचुप तरीके से जमीन बिना प्रदेश सरकार को जानकारी दिए ही विमानन विवि को इग्रुआ के निदेशक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अनाधिकृत रूप से बैनामा कर दी। बैनामे के जांच में फंसे इग्रुआ के निदेशक का एक और कारनामा सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
जिले के तिलोई तहसील के ब्रहम्नी व सैंबसी गांव में 167 एकड़ जमीन गजट प्रकाशित कर इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी को 1985 में दी गई थी। गजट के मुताबिक जमीन पूरी तरह से अहस्तांतरणीय होने के बाद भी उड़ान अकादमी के निदेशक ने आठ जुलाई 2016 को 26.36 एकड़ जमीन विमानन विवि के नाम बैनामा कर दी। जिसका 22 जनवरी के अंक में दैनिक जागरण ने खुलासा किया था। जिसके बाद हरकत में आये तहसील प्रशासन ने इग्रुआ निदेशक को नोटिस जारी कर जांच तहसीलदार को सौंपी है। मामले में नया पेच तब सामने आया जब मंगलवार को तत्कालीन सचिव उत्तर प्रदेश शासन अनीता सिंह द्वारा 26 जुलाई 2013 को विमानन मंत्रालय भारत सरकार के सचिव को लिखा गया अनुस्मारक पत्र दैनिक जागरण के हाथ लगा। अनुस्मारक पत्र संख्या 1164/छप्पन-2013-56 क्यू /81 के अनुसार सचिव ने इग्रुआ को राष्ट्रीय उड़ान विवि के रूप में विकसित करने के लिए भूमि व्यवस्था आदि पर 142.88 करोड़ रुपये देने की बात लिखी थी। साथ ही उन्होंने परियोजना का डीपीआर भी मांगा था। पत्र की प्रतिलिपि भारतीय विमानन प्राधिकरण के अध्यक्ष, इग्रुआ के निदेशक व नागरिक उड्डयन विभाग के निदेशक को भी भेजी गई थी। बावजूद इसके नियमों को ताख पर रखकर इग्रुआ के निदेशक बीके वर्मा ने अनाधिकृत चेष्टा करते हुए मुफ्त में जमीन राजीव गांधी विमानन विवि के नाम कर दी। जिससे सरकार को सीधे तौर पर 142.88 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
''इग्रुआ की जमीन को विमानन विवि के नाम निदेशक द्वारा बैनामा करने की जांच प्रचलित है। ऐसा कोई पत्र मेरे संज्ञान में नहीं आया है। अगर ऐसा पत्र शासन द्वारा लिखा गया है तो उसे भी जांच में शामिल किया जायेगा। शासन का निर्देश मिलने पर धन की रिकवरी भी की जाएगी।''
डा. अशोक कुमार शुक्ला, एसडीएम, तिलोई-अमेठी