जनप्रतिनिधि हैरान, अफसर परेशान, जिम्मेदार लापरवाह
अमृत योजना में कार्यदायी संस्था के सुस्त चाल से बिगड़ी शहर की सूरत करीब 25 हजार की आबादी हो रही प्रभावित आवागमन व्यवस्था ध्वस्त
रायबरेली : कभी स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल शहर आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। जिन्हें संवारने की जिम्मेदारी मिली। वे इतने लापरवाह हो गए कि बदहाली मानों दिख ही नहीं रही हो। भारी भरकम बजट के बाद भी कार्यदायी संस्था के सुस्त चाल के आगे जनप्रतिनिधियों तक बेबस हो गए। हकीकत देखने पहुंचे आला अफसर तक को गुमराह कर दिया गया।
जी हां, यह हाल है अमृत योजना से शहर में चल रहे सीवर प्रोजेक्ट का। सिविल लाइंस से लेकर पीएसी तक की सड़क हो या फिर इससे जुड़े करीब दो दर्जन मुहल्ले। डायवर्जन रूट की कौन कहें साइड रोड भी नहीं बनाया गया। अरबों बजट वाले इस प्रोजेक्ट में कार्यदायी संस्था के ढुलमुल रवैये के चलते नेता, अफसर हो या फिर आम लोग सभी कीचड़ और दलदल भरे रास्तों से आने को विवश हो रहे हैं।
जब ऊंचाहार विधायक को डीएम से करनी पड़ी शिकायत
कार्यदायी संस्था की हठधर्मिता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऊंचाहार विधायक डॉ. मनोज कुमार पांडेय को भी प्रशासन से शिकायत करनी पड़ी। स्थानीय सभासद संजय सिंह ने तो कई बार गुहार लगाई। पालिका अफसरों ने हाथ खड़े कर दिए।
मंडलायुक्त भी जता चुके नाराजगी
कोरोना महामारी के दौरान मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने पीएसी में ठहरे तो सड़क की दशा देखकर परेशान हो गए। अफसरों से नाराजगी जताई। इस पर खुद डीएम शुभ्रा सक्सेना ने चेतावनी दी। शनिवार को मौका मुआयना किया। जल निगम के अफसरों को फटकारा और एक सप्ताह का समय दिया।
कोट
कार्यदायी संस्था को कई बार चेतावनी भी दी गई। सर्विस लेन नहीं होने से परेशानी हो रही है। साथ ही पालिका के पूर्व में निर्माण कराए गए मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। सूचना पूर्व में उच्चाधिकारियों को दे दी गई है।
-बीएम मिश्र, ईओ नगर पालिका परिषद कार्यदायी संस्था जल निगम को कई बार कहा गया, इसके बावजूद कोई सुधार नहीं हो रहा है। डायवर्जन रूट नहीं बनाने से पालिका की सड़कें और नालियां तक ध्वस्त हो गई हैं।
-पूर्णिमा श्रीवास्तव, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद