नवजात की सुरक्षा को स्वास्थ्य महकमे ने कसी कमर
रायबरेली : नवजात को असमय मौत से बचाने के लिए सरकार विशेष तौर पर प्रयास कर रही है। 14 स
रायबरेली : नवजात को असमय मौत से बचाने के लिए सरकार विशेष तौर पर प्रयास कर रही है। 14 से 21 नवम्बर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयोजन पूरे प्रदेश में किया जा रहा है।
प्रदेश की शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सूचकांक 34 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इनमें से तीन चौथाई शिशुओं की मृत्यु जन्म के पहले हफ्ते में ही हो जाती है। जबकि जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान और छह माह तक केवल मां का दूध दिए जाने से शिशु मृत्यु दर में 20 से 22 फीसद तक की कमी लायी जा सकती है। इसके साथ ही कंगारू मदर केयर और स्तनपान को बढ़ावा देकर भी नवजात को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सकता है। इन आंकड़ों को देखते हुए ही नवजात की बेहतर देखभाल करने के लिए जन सामान्य को जागरूक करने पर बहुत ही ध्यान देने की जरुरत है।
छह माह तक सिर्फ मां का दूध
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा डीके ¨सह का कहना है कि बच्चे के शुरू के हजार दिन यानि गर्भ में आने से लेकर दो साल का होने तक बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान गर्भवती के खानपान पर पूरा ध्यान देना चाहिए। बच्चे को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध अवश्य पिलायें क्योंकि वही बच्चे का पहला टीका होता है। छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए। इसके बाद मां के दूध के साथ ही पूरक आहार भी देना शुरू करना चाहिए। नियमित टीकाकरण भी बहुत जरुरी है क्योंकि उससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है।
इन बातों पर दें ध्यान--
- प्रसव अस्पताल में ही कराएं
- 48 घंटे तक उचित देखभाल के लिए अस्पताल में रुकें
- नवजात को तुरंत नहलाएं नहीं, शरीर पोंछकर नर्म सा़फ कपड़े पहनाएं
- जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू करें
- बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान ही कराएं
- जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और जरुरी इंजेक्शन लगवाएं
- नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं
- नवजात की नाभि सूखी और सा़फ रखें और संक्रमण से बचाएं
- मां और शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी ध्यान दें
- कम वजन और समय से पहले जन्में शिशुओं पर खास ध्यान दें
- शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर विधि अपनाएं
- शिशु जितनी बार चाहे दिन अथवा रात में बार-बार स्तनपान कराएं
- नवजात को काजल न लगाएं और कान व नाक में तेल न डालें
- छह माह तक शहद, घुट्टी, पानी आदि न पिलायें