एक माह भी नहीं टिका सुर्खी का प्लास्टर
नमामि गंगे के तहत घाटों के जीर्णोद्धार में हुई जमकर मनमानी
रायबरेली : नमामि गंगे योजना के तहत डलमऊ के राजघाट, वीआइपी घाट, रानी शिवालाघाट, संकटमोचन घाट व महावीरन घाट का जीर्णोद्धार कराया गया। इसमें जिस तरह मनमानी हुई उसकी हकीकत स्वयं यह घाट बयां कर रहे हैं। कार्य में मानक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक महीने भी दीवारों पर सुर्खी का प्लास्टर न टिक सका।
तीर्थ पुरोहित भंवर नाथ तिवारी ने बताया कि घाटों के जीर्णोद्धार के नाम पर सुर्खी प्लास्टर किया गया। लेकिन, वह एक माह भी नहीं चल सका और गिरने लगा है। जबकि निर्माण एजेंसी ने सौ वर्षों से अधिक समय तक इस प्लास्टर के चलने का दावा किया था। डलमऊ के घाटों पर हुए निर्माण में की जा रही अनियमितता को लेकर शुरू से ही आवाजें उठती रहीं। मगर, किसी ने गम्भीर होकर मानकों पर ध्यान नहीं दिया। जिसका नतीजा यह है कि कहीं प्लास्टर तो कहीं पत्थर उखड़ने लगे हैं। मानकों के विपरीत कराए जा रहे निर्माण को लेकर कई बार स्थानीय लोगों ने गंगा मंत्रालय व स्थानीय अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन, किसी ने जांच कराना मुनासिब नहीं समझा।
सुर्खी के नाम पर ईंट के चूरे का किया प्लास्टर
डलमऊ सनातन धर्म पीठ के ब्रम्हचारी दिव्या नन्द गिरि ने बताया कि पुराने समय में सुर्खी का प्लास्टर प्रचलित था। जिसमें चूना, बेल का गूदा, गुड़ का सीरा का मिलाकर दीवार की चुनाई व प्लास्टर किया जाता था। जबकि यहां सुर्खी के नाम पर ईंट के बुरादे और सीमेंट मिलाकर काम चला दिया गया। मौरंग, सीमेंट व बालू का प्लास्टर होता तो इससे बेहतर था। उधर, नगर पंचायत अध्यक्ष पं. बृजेश दत्त गौड़ ने कहा कि प्लास्टर गिरने की सूचना मिली है। निर्माण एजेंसी व संबंधित मंत्रालय में इसकी शिकायत की जाएगी।