50 लाख पौधे रोपे, इस बार 40 लाख का लक्ष्य
80 फीसद पौधे सुरक्षित होने का दावा तीन साल में खर्च होंगे दो करोड़ रुपये गूगल मैप से निगरानी से बदली वन कर्मियों की कार्यशैली सुरक्षा के इंतजाम
रायबरेली : पिछले दो वर्षों में नौ हेक्टेयर वन क्षेत्र बढ़ा है। मतलब 3905.06 हेक्टेयर भूमि को पूरी तरह वनाच्छादित करने का लक्ष्य है। इसलिए इस बार इसी भू-भाग में से 960 हेक्टेयर में 40 लाख पौधे रोपे जाने हैं। साथ ही तीन साल में इन पौधों में से 65 फीसद को सुरक्षित भी रखना है। विभाग में कर्मियों की उम्र और बीमारी के चलते ये लक्ष्य हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
इस बार वन विभाग गंगा कटरी के क्षेत्रों में ज्यादा फोकस कर रहा है। सामान्य के अतिरिक्त फलदार और औषधीय पौधों को वरीयता दी जा रही है। इसमें विभाग किसानों को आगे कर रहा है। जिससे पौधों की सुरक्षा संग उनका रखरखाव भी सही से हो सके। पिछले दो साल में लगभग 50 लाख पौधे रोपे जा चुके हैं। इनमें अभी तक 80 फीसद पौधे जीवित हैं, ऐसा दावा विभागीय अधिकारी कर रहे हैं। तीन साल तक इनकी विशेष निगरानी का शासनादेश है। जिसके क्रम में सारे काम किए जा रहे हैं। गूगल मैप से पौधों की स्थिति देखी जा रही है ताकि जिम्मेदार कागजी कोरम पूरा करके दिग्भ्रमित न करने पाएं। इस बार 40 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है जिसमें सरकारी संग निजी संस्थाओं, आम-ओ-खास सभी से पौधारोपण की अपील की जा रही है। पौधे लगाना ही नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा करने का भी संकल्प दिलाया जा रहा है।
सिर्फ रस्म अदायगी से नहीं बदलेगी सीरत
जुलाई माह में पौधारोपण को विशेष कार्यक्रम के तौर पर प्रशासन मनाता है। इसमें सरकारी और निजी संस्थाओं की सहभागिता भी होती है। मगर, ये सिर्फ पौधरोपण तक ही सीमित रहती है। पौधे की सुरक्षा को लेकर ट्रीगार्ड तक की व्यवस्था नहीं की जाती, खाद-पानी की बात तो छोड़ ही दीजिए। इसीलिए रिहायशी बस्तियों, पार्कों में पौधों के जीवित रहने का औसत एक तिहाई से भी कम हो जाता है।
कोट
पिछले दो वर्षो में 50 लाख के करीब पौधे रोपे गए। इनकी देखरेख के लिए दो करोड़ रुपये का बजट है। तीन साल में लगभग 70 फीसद तक पौधे जीवित रहेंगे, जो वृक्ष का रूप लेंगे। सभी लोगों से अपील है कि बढ़-चढ़कर पौधारोपण करें और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठाएं।
-तुलसीराम शर्मा, प्रभागीय वनाधिकारी