चौक चौराहों पर रौंदा जा रहा मोटर व्हीकल एक्ट
बिना हेलमेट और सीट बेल्ट लगाए चलना बनी आदत काली फिल्म बनी पहुंच की निशानी
रायबरेली : नए व्हीकल एक्ट को बड़ी उम्मीदों के साथ लागू किया गया था। लगा था कि शायद इसकी सख्ती और बड़े जुर्माने की राशि वाहन चालकों को सही रास्ते पर ले आए। सड़क हादसों पर अंकुश लगाने में इस एक्ट को मददगार माना जा रहा था। मगर, ऐसा नहीं हो सका। कुछ दिन तक इसका असर दिखा। फिर हालात पहले के जैसे हो गए। हाईवे से लेकर छोटे मार्गों के चौक चौराहों तक हर रोज यह वाहनों के टायर तले रौंदा जा रहा है।
यह हालात सिर्फ शहर के नहीं हैं। बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ ऐसी ही हैं। बाइक सवार हेलमेट लगाने में अपनी तौहीन समझते हैं। बिना सीट बेल्ट लगाए चलना चार पहिया वाहन सवारों की आदत बन गई है। हूटर और काली फिल्म पहुंच की पहचान मानी जाने लगी है। इन्हीं सब पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पिछले साल मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव किए थे। जुर्माने की राशि कई गुना तक बढ़ा दी गई थी। शुरूआती दौर में खाकी ने काफी तेजी दिखाई। जिसके चलते सड़कों पर बदलाव साफ नजर आने लगा। लेकिन, धीरे-धीरे हालात पहले जैसे हो गए हैं। यातायात के नियमों को तोड़ कर लोग जहां अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं। वहीं जिम्मेदार सिर्फ कागजी कोरम पूरा करने में जुटे हैं।
नए एक्ट में हुए कुछ बदलाव
बिना ड्राइविग लाइसेंस वाहन चलाने पर 500 की जगह 2500, बीमा न होने पर एक हजार की जगह दो हजार, बिना हेलमेट बाइक चलाने पर 100 की जगह 500 रुपये, चार पहिया वाहन के शीशे पर ब्लैक फिल्म चढ़वाने पर एक हजार के स्थान पर ढाई हजार रुपये जुर्माने का प्राविधान इस एक्ट में है।
कोट
यातायात नियम तोड़ने वालों पर लगातार कार्रवाई हो रहीं हैं। हर महीने जिले में लगभग ढाई हजार वाहनों का चालान किया जा रहा है। सड़क सुरक्षा सप्ताह में और सख्ती बरती जाएगी। वाहन सवारों को जागरूक भी किया जाएगा। अब तो यातायात के हेड कांस्टेबल को भी चालान करने के आदेश मिल गए हैं। इससे भी मदद मिलेगी।
-प्रशांत भदौरिया, उप यातायात निरीक्षक