गले की फांस बन सकते हैं बाहरी दवाओं के पर्चे
- इमरजेंसी में तैनात चारों डॉक्टरों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू - रात में सबसे ज्यादा होता है खेल खुली पोल तो लगा रहे सिफारिशें
रायबरेली : सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी में बाहर की दवाएं मंगाने का ये मामला कोई अब से नहीं चल रहा है। अच्छे ब्रांड नहीं, बल्कि ज्यादा कमीशन वाली एंटीबायोटिक मंगाने का खेल काफी दिनों से चल रहा है। अब जब अंदरखाने से ही विरोध का बिगुल फूंक दिया गया है तो बाहरी दवाओं के पर्चे उन संबंधित डॉक्टरों के गले की फांस बन सकते हैं।
चीफ फार्मासिस्ट और जिला अस्पताल की इमरजेंसी के प्रभारी जीडी शुक्ल ने मंगलवार को इसी आशय का एक शिकायती पत्र सीएमएस को देकर खलबली मचा दी। इसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा कि डॉक्टर बाहर की महंगी दवाएं और जांचें मरीजों को लिख रहे हैं। मना करने पर भी उनकी बात नहीं सुनी जाती। उनकी शिकायत पर सीएमएस डॉ. एनके श्रीवास्तव ने डॉ. वीपी श्रीवास्तव और डॉ. बीरबल की टीम गठित कर दी। सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक डॉ. संतोष सिंह ईएमओ रहे, उनका बयान डॉॅ वीपी श्रीवास्तव ने दर्ज किया। फिर दो बजे ड्यूटी पर आए ईएमओ डॉ. आरएस पटेल का बयान भी दर्ज कर लिया गया। रात में जिन डॉक्टर की ड्यूटी होगी, उनका बयान डॉ. बीरबल लेंगे। संभवत: गुरुवार को ये रिपोर्ट सीएमएस को सौंप दी जाएगी।
सीटी स्कैन में बड़ा खेल:प्राइवेट में सीटी स्कैन कराने में बड़ा खेल हो रहा है। अंदरखाने चर्चाओं के मुताबिक एक सीटी स्कैन पर कम से कम एक हजार का कमीशन मिलता है। इसलिए मरीज अगर हल्का सिरदर्द भी बताता है तो उसे पहले इस जांच के लिए लिख दिया जाता है। बता दें कि जिला अस्पताल में सीटी स्कैन की व्यवस्था है। इसके बावजूद मरीजों को बाहर भेजा जा रहा है। सीएमएस बोले
चार डॉक्टर ईएमओ हैं। उनके बयान दर्ज करने में वक्त लगेगा। दो डॉक्टरों की टीम जांच कर रही है। रिपोर्ट मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. एनके श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक