नर्सिंग स्टेशन ने बदल दी महिला अस्पताल की सीरत
रायबरेली : महिला अस्पताल की इमरजेंसी में खुले नर्सिंग स्टेशन से बेहतर परिणाम सामने आने लगे
रायबरेली : महिला अस्पताल की इमरजेंसी में खुले नर्सिंग स्टेशन से बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं। अब गर्भवती महिलाओं को यहां आने के बाद इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ रहा। चिकित्सीय स्टाफ की 24 घंटे उपलब्धता भी सुनिश्चित करा दी गई है। यही नहीं, प्राइवेट नर्सिंग होम जैसे कलेवर में महिला अस्पताल का स्वरूप भी बदला-बदला नजर आने लगा है।
एक माह में जिला महिला अस्पताल में औसतन 800-900 डिलीवरी करायी जा रही हैं। इनमें से दो सौ केस सीजेरियन यानी बड़े ऑपरेशन से होते हैं। यानी यहां पर प्रतिदिन 25 से 30 महिलाओं का प्रसव कराया जा रहा है। पूर्व में इमरजेंसी में नर्सिंग स्टेशन नहीं आता। मतलब कि मरीज को कोई ये बताना वाला ढूंढ़े नहीं मिलता था जोकि उनके इलाज में मदद कर सके। नर्स हो या चिकित्सक सभी लेबर रूम में रहते थे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सटीक जवाब नहीं दे पाते थे। इन सब अव्यवस्थाओं के चलते यहां आएदिन हंगामे की स्थिति बनी रहती थी। प्रसव पीड़िताओं की जान को भी खतरा हो जाता था। सब कुछ दुरुस्त करने के उद्देश्य से 22 नवंबर को इसकी शुरुआत की गई। आठ घंटे की एक शिफ्ट के दौरान तीन नर्सें यहां मौजूद रहती हैं। वह मरीज का हाल जानकर सही तरीके से इलाज में मदद कर रही हैं। यह स्टेशन खुलने के बाद चिकित्सीय सेवाओं में काफी सुधार देखने को मिल रहा है।
अस्पताल में नर्सिंग स्टेशन बेहद जरूरी : पुरुष अस्पताल हो या महिला, नर्सिंग स्टेशन होना बहुत जरूरी होता है। जिला महिला अस्पताल के वार्डों में तो यह बने हैं लेकिन इमरजेंसी में ये सुविधा नहीं थी। कई माह तक लिखा पढ़ी के बाद जब बजट मिला तो स्ट्रक्चर तैयार करके इसे खोला गया है। चिकित्सा विभाग के मैनुअल में भी इसका साफ जिक्र किया गया है। बावजूद इसके, रायबरेली में इसके पूर्व स्टेशन को लेकर चिकित्सीय अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। जिसका खामियाजा हर आमोखास को भुगतना पड़ा।
सीएमएस बोलीं,
हमारी कोशिश है कि प्रसव पीड़िताओं को ज्यादा से ज्यादा सहूलियतें मुहैया कराई जाएं। इसी क्रम में नर्सिंग स्टेशन खोला गया है। अन्य जो कमियां अभी यहां हैं, उन्हें भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
-डॉ. रेनू वर्मा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महिला अस्पताल