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मच्छरों की भिनभिनाहट, डेंगू व मलेरिया का खतरा

रायबरेली : मच्छरों से जरा बचकर रहें। ये आपके सुखमय जीवन को कठिनाइयों से भर सकते है

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 12:31 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 12:31 AM (IST)
मच्छरों की भिनभिनाहट, डेंगू व मलेरिया का खतरा
मच्छरों की भिनभिनाहट, डेंगू व मलेरिया का खतरा

रायबरेली : मच्छरों से जरा बचकर रहें। ये आपके सुखमय जीवन को कठिनाइयों से भर सकते हैं। जरा सी असावधानी में इनका प्रकोप अस्पताल का मुंह दिखा सकता है। ऐसे में इनसे बचने का सावधानी ही सबसे बेहतर उपाय है।

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पूरे जिले में मच्छरों का आतंक फैला हुआ है। शहर से लेकर नगर पंचायत, ब्लॉक स्तर के कस्बे और गांव समेत हर जगह मच्छरों का प्रकोप हैं। इनके चलते डेंगू और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियां भी अपने पैर पसार रहीं हैं। वैसे तो मच्छर चिकनुगुनिया, पीतज्वर, वेस्ट नाइल वायरस, जीका वायरस जैसी अन्य कई बीमारियों के भी वाहक होते हैं। वेस्ट नाइल वायरस और जीका वायरस का अभी कोई रोगी जिले में सामने नहीं आया है। जबकि सबसे अधिक डेंगू और मलेरिया अपने पैर तेजी से पसार रहे हैं। ऐसा कोई गांव या मुहल्ला नहीं होगा, जहां बुखार के रोगी न हों। अस्पताल में भी रोगियों की कतार लगी रहती है। आने वाले बुखार के रोगियों में 20 फीसदी में डेंगू और मलेरिया होने की बात सामने आती है।

जिला अस्पताल में प्रतिदिन आ रहे 200 रोगी : सिर्फ जिला अस्पताल में ही प्रतिदिन बुखार के 200 से 250 रोगी आते हैं। इनमें कुछ ओपीडी में इलाज कराकर चले जाते हैं तो कुछ की हालत गंभीर होने पर भर्ती कर लिया जाता है। अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि रोगियों के रक्त की जांच के बाद 200 में करीब 35 से 40 मरीज डेंगू और मलेरिया के निकल कर आते हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा मरीज मलेरिया के आ रहे हैं। यही हाल सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी है।

मच्छर जनित रोग और उनके प्रमुख लक्षण

मलेरिया : अचानक ठंड लगने के साथ बुखार आना और शरीर में दर्द होना।

डेंगू : बुखार के साथ शरीर पर लाल धब्बों का पड़ना।

चिकनगुनिया : इसमें बुखार आता है। इसके साथ जोड़ों में दर्द की समस्या भी होती।

पीतज्वर : इसे यलो फीवर भी कहते हैं। इसमें बुखार रहता है और शरीर पीला पड़ने लगता है।

ऐसे करें बचाव

अपने आसपास मच्छरों को पनपने न दें।

जलभराव न होने दें।

घर व आसपास के क्षेत्र को साफसुथरा रखें।

सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

बाजार में उपलब्ध तरह-तरह की रेपलेंट या क्रीम का उपयोग करें।

शरीर को हमेशा ढक कर रखें।

रोग ग्रसित क्षेत्र जाने से पहले दवा पहले ही खा लें।

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तत्काल लें चिकित्सीय सलाह : डॉ. सलीम

जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सलीम कहते हैं कि रोगों का इलाज कराना पड़े, इससे अच्छा है कि उनसे बचाव कर लिया जाए। फिर भी यदि रोग हो जाए तो तत्काल चिकित्सीय सलाह लें। इसमें जरा सा भी देर न करें। झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में कतई न पड़ें। बल्कि नजदीकी सरकारी अस्पताल में अपना इलाज कराएं। क्योंकि ये रोग जानलेवा हैं। इलाज में जरा सी लापरवाही से जान जोखिम में पड़ सकती है।


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