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यह अाश्रम है पर्यावरण की पाठशालाः रद्दी कागज की कलम बना दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

प्लास्टिक के प्रयोग पर अंकुश लगाने व लोगों को जागरुक करने के लिए खड़ेश्वरी आश्रम डलमऊ के महंत कृष्ण बिहारी ने रद्दी कागज की कलम बनाई है ।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 07:43 AM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 07:47 AM (IST)
यह अाश्रम है पर्यावरण की पाठशालाः रद्दी कागज की कलम बना दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश
यह अाश्रम है पर्यावरण की पाठशालाः रद्दी कागज की कलम बना दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

रायबरेली [रसिक द्विवेदी]। आधुनिकता की दौड़ में सहजता सुविधाओं को पाने की लालसा में हमसब इस कदर प्लास्टिक का प्रयोग करते गए कि आज समूचा विश्व पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंतित है। पर्यावरण को सबसे अधिक खतरा प्लास्टिक से है ।

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प्लास्टिक के प्रयोग पर अंकुश लगाने व लोगों को जागरुक करने के लिए खड़ेश्वरी आश्रम डलमऊ के महंत कृष्ण बिहारी ने रद्दी कागज की कलम बनाई है । रद्दी कागज से बनी कलम में प्लास्टिक के नाम पर महज रिफिल का ही प्रयोग किया गया है , लेकिन सीघ्र ही उक्त पेन में रिफिल भी कागज की ही प्रयोग की जाएगी । महंत कृष्ण विहारी कहते हैं कि प्लास्टिक से बने पेन का प्रयोग बड़ी संख्या में किया जाता है, जो देखने में कम दिखता है लेकिन कलम के रुप से कई कुंतल प्लास्टिक रोज प्रयोग कर फेंकी जा रही है ।

घर में बना सकते हैं कागज की कलम

डलमऊ के खड़ेश्वरी आश्रम के महंत कृष्ण विहारी द्वारा निर्मित कागज की कलम की सराहना हो रही है । महंत कृष्ण विहारी ने बताया कि 20 युवकों को प्रशिक्षित किया गया है , जो कलम का निर्माण कर रहे हैं , कागज के कलम को यदि ऐसे ही लोग पसंद करते रहे तो युवाओं को रद्दी कागज से बना कलम एक सस्ता घर पर ही शुरु करने वाला रोजगार बनेगा । महंत कृष्ण विहारी ने अबतक 40 हजार कागज के कलम बना कर लोगों को निशुल्क वितरित कर चुके हैं ।

प्लास्टिक का बढता प्रयोग ,पर्यावरण के लिए सबसे घतक साबित हो रहा है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए माननीय न्यायालय व सरकार शख्त लेकिन जागरुकता के अभाव में लोग प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं, प्लास्टिक के प्रयोग पर अंकुस लगाने व लोगों को इससे होने वाले दुष्परिणामों से जागरुक करने के लिए खड़ेश्वरी आश्रम डलमऊ के महंत कृष्ण बिहारी ने रद्दी कागज की कलम ईजाद की है ।

रद्दी कागज से बनी कलम में प्लास्टिक के नाम पर महज रिफिल का प्रयोग किया गया है , लेकिन महंत कृ्ष्ण विहारी दावा करते हैं कि सीघ्र ही उक्त कागज निर्मित कलम में रिफिल भी कागज की ही प्रयोग की जाएगी। बतौर महंत कृष्ण विहारी प्लास्टिक से बने पेन का प्रयोग बड़ी संख्या में किया जाता है, जो देखने में व के बराबर दिखता है, लेकिन कलम के रुप से कई कुंतल प्लास्टिक रोज प्रयोग कर फेंकी जा रही है ।

घर बैठे युवकों को मिलेगा रोजगार

डलमऊ के खड़ेश्वरी आश्रम के महंत कृष्ण विहारी द्वारा निर्मित कागज की कलम की सराहना हो रही है । महंत कृष्ण विहारी ने बताया कि 20 युवकों को प्रशिक्षित किया गया है , जो कलम का निर्माण कर रहे हैं , कागज के कलम को यदि ऐसे ही लोग पसंद करते रहे तो युवाओं को रद्दी कागज से बना कलम एक सस्ता घर पर ही शुरु करने वाला रोजगार बनेगा । महंत कृष्ण विहारी अबतक 40 हजार कागज के कलम निर्मित कर लोगों को निशुल्क वितरित कर प्लास्टिक की कलम का बहिस्कार करने की अलख जगा रहे हैं।

ऐसे होता है रद्दी कागज से कलम का निर्माण

कागज से बने पेन को बनाने के लिए रद्दी कागज, धागा , रिफिल, लेई (गोंद) व पेंट के ऊपर खूबसूरती बढाने के लिए स्टीकर का प्रयोग किया जाता । अभी कागज के बने पेन में कैप नहीं बना है लेकिन जल्द ही उक्त पेन में कैप भी नजर आएगा । एक कलम को बनाने में दो रुपए की लागत आती हैं । 


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