एमसीएफ ने पांच माह में बनाए 521 कोच
- महाप्रबंधक का दावा उत्पादन की गति तेज सब चुस्त दुरुस्त
रायबरेली: एक ओर जहां आधुनिक रेलडिब्बा कारखाना में बन रहे डिब्बों के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट है। सीबीआइ कारखाने के चक्कर काट रही है। डिब्बा निर्माण का लक्ष्य घटता जा रहा है। वहीं कारखाना प्रशासन डिब्बा निर्माण में तेजी को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा है।
एमसीएफ के महाप्रबंधक विनय मोहन श्रीवास्तव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि कारखाने को महज एक हजार डिब्बा प्रतिवर्ष निर्माण के लिए डिजाइन किया गया था। फिर भी वित्तीय वर्ष 2018-19 में यहां 1425 और वर्ष 2019-20 में 1930 डिब्बे बनाए गए हैं। उनका कहना है कि अगस्त में 165 कोच बनाते हुए इस वित्तीय वर्ष में 541 कोच बनाए जा चुके हैं। कोरोना संक्रमण से बचते हुए रोस्टर बनाकर कर्मचारियों से काम कराया जा रहा है। आरेडिका प्रशासन ने एक सेंट्रल कंट्रोल रूम स्थापित किया है जो प्रतिदिन आरेडिका में होने वाली कोविड गतिविधियों पर नजर रखता है। लॉकडाउन अवधि में 400 परिवारों को खाद्यान्न बांटा गया है। एमसीएफ के सभी कर्मचारियों व उनके परिजनों को मास्क, होम्योपैथी दवा, फल,सब्जी,दूध आदि सामग्री घर घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई।
उन्होंने बताया कि अब तक कुल 14 संक्रमित मिले लोगों को कोविड अस्पताल में भर्ती कराते हुए उनके संपर्क में आने वालों की जांच कराई गई। यहां के अस्पताल को एल-2 फैसिलिटी सेंटर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। यहां तीन मेगावाट क्षमता के सोलर संयंत्र द्वारा बीते वर्ष 36 लाख 78 हजार 245 यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया। एमसीएफ को बेस्ट प्रोडक्शन यूनिट, गोल्डन पिकाक बेस्ट इनोवेशन मैनेजमेंट अवार्ड सहित कई अवार्ड मिल चुके हैं। वर्जन,
इंडियन स्कूल आफ बिजनेस हैदराबाद द्वारा एक अध्ययन किया जा रहा है। इसमें इस बात की रिसर्च जा रही है कि एमसीएफ की स्थापना के बाद इसके इर्द गिर्द निवास करने वालों के जीवन स्तर किस तरह और कितना बदला है।
वीके दुबे, मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी