इमाम हुसैन की ¨हद आने की थी ख्वाहिश
जासं, रायबरेली : दस मुहर्रम गुजर गए। शहीदाने कर्बला की लाशें रेत पर बेगैर कफन पड़ी रह
जासं, रायबरेली : दस मुहर्रम गुजर गए। शहीदाने कर्बला की लाशें रेत पर बेगैर कफन पड़ी रहीं। जब कर्बला की जंग चल रही थी तब ¨हदोस्तान से हुसैनी ब्राह्माणों की एक फौज इमाम हुसैन का साथ देने कर्बला रवाना हुई थी। मगर तब तक इमाम शहीद हो चुके थे। खुद इमाम ने भी ¨हद आने की ख्वाहिश जताई थी। इमाम तो न आ सके मगर उनकी अजादारी ¨हद आ गई। रविवार को इमाम हुसैन का तीजा गमो सोग के साथ मुनअकिद हुआ। इसहाक हुसैन गुलाब रोड जाफर रिजवी मरहूम, काशिफ जाफरी, हसन शब्बर मरहूम के यहां तीजे की मजलिसें हुई। रविवार सुबह दस बजे ताड़तल्ला स्थित इमामबारगाह मीर सैयद सरफराज हुसैन से अलम व ताजिये का जुलूस अंजुमन सज्जादिया (रजि.) की जेरे निगरानी में निकला। इसमें अंजुमन जैनुल एबा के नौहाख्वानों जायर, साजिद, शुमैल, वैज, शावेज, अख्तर महमूद, शहबाज जैदी ने रास्ते मे नौहे पढे़। जुलूस अपने कदीमी रास्ते ताड़तल्ला, गुरू नानक नगर, रेलवे स्टेशन रोड, घंटाघर, मधुबन, शक्ति नगर होता हुआ सैयदगंज मीर साहब के पैतृक कब्रिस्तान पहुंचा। यहां अलविदाई नौहा पढ़कर ताजिये को दफन किया गया। इस अवसर पर अंजुमन सज्जादिया अध्यक्ष मुस्तफा आजम नकवी, रियाजुल हसन जाफरी, काजिम अली, नाजिम अली, नासिर अली, शुजाअत अली, एजाज अस्करी, फैयाज रायबरेलवी, अंजुम नकवी, इमरान मेंहदी, मिनहाल नकवी, हाशिर नकवी, मीसम नकवी आदि मौजूद रहे।