कचहरी की लाइन को मनमानी का झटका
कार्यदायी संस्था ने किया खेल वितरण खंड के अफसर दबाए रहे मामला डेढ़ महीने से आपूर्ति न होने पर खुली पोल अधीक्षण अभियंता ने मामले को लिया संज्ञान
रायबरेली : जिला अस्पताल को निर्बाध आपूर्ति के लिए बनी बिजली लाइन पहले ही भ्रष्टाचार का शिकार हो चुकी थी। घटिया निर्माण के चलते ही गत दो-तीन साल से यह लाइन बंद है। पिछले साल दीवानी कचहरी के लिए बनाई गई स्वतंत्र फीडर की लाइन में भी कुछ ऐसे ही धांधली हुई। हालांकि, वितरण खंड तो इस पर परदा डालने में जुटा था, लेकिन अधीक्षण अभियंता ने इस पर ठोस कदम उठाए हैं।
पावर कारपोरेशन के सेकेंड्री वर्कर्स विभाग ने इस लाइन का निर्माण कराया था। इसको 132 केवी उपकेंद्र अमावां से जोड़ा गया था। अमावां से उपकेंद्र त्रिपुला तक यह ओवरहेड लाइन बनी हुई है। यह हाल तब है जबकि, इसके बाद दीवानी कचहरी तक अंडरग्राउंड केबल डाला गया है। सबसे बड़ा खेल इसी अंडरग्राउंड केबल में हुआ। कार्यदायी संस्था ने इतना घटिया काम कराया कि एक साल भी यह लाइन सही तरीके से चल न सकी। आए दिन कोई न कोई खराबी इसमें बनी ही रही। इस वक्त भी पिछले करीब डेढ़ महीने से यह 33 केवी लाइन गड़बड़ी के कारण ठप पड़ी है। विभागीय कर्मचारी बताते हैं कि अंडरग्राउंड दो केबल पड़ी हैं। पहले जब एक केबल खराब हुई तो दूसरी जोड़ी गई, लेकिन वह भी चल न सकी। इससे साफ हो गया कि काम ही बेहद घटिया कराया गया है।
तो क्या बिना जांच के ही ले ली थी जिम्मेदारी
जब कोई नई लाइन कार्यदायी संस्था द्वारा वितरण खंड को हैंडओवर की जाती है तो पहले उसकी विधिवत जांच होती है। इसमें सबसे अहम गुणवत्ता की परख होती है। इसपर भी लाइन खरी न उतरने पर वितरण खंड ने हैंडओवर करने से साफ इन्कार कर सकता है। सवाल यह है कि क्या कचहरी की लाइन की पड़ताल नहीं हुई थी। अगर, हुई थी तो अफसरों ने खामियों को नजरंदाज क्यों कर दिया।
कचहरी के लिए बनी लाइन का जो कार्य कराया गया था, वह गुणवत्ता परक नहीं था। इसलिए कार्यदायी संस्था को पत्र लिखा गया है। एक महीने में खामियों को दूर कराने की बात कही गई है।
वाइएन राम
अधीक्षण अभियंता, पावर कारपोरेशन