'सक्षम एजेंसी से कराएं सलोन गो-तस्करी मामले की जांच'
रायबरेली सलोन में गोवंशों के साथ क्रूरता के मामले में कार्रवाई के लिए भाजपा संग दूसरे हि
रायबरेली: सलोन में गोवंशों के साथ क्रूरता के मामले में कार्रवाई के लिए भाजपा संग दूसरे हिदू संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है। राज्यपाल को पत्र भेजकर इस प्रकरण की जांच सक्षम एजेंसी से कराने की मांग की गई है।
भाजपा के नगर अध्यक्ष अखिलेश तिवारी, जिला गोरक्षा प्रमख संतोष सोनी आदि ने बताया कि सोमवार की रात पशु चिकित्सालय के पीछे गोवंशों से भरा ट्रक पकड़ा गया था। ट्रक में करीब 40 गोवंश थे, जिनके मुंह और सिर रस्सी से बांधे गए थे। ट्रक पर तिरपाल लगी थी, ताकि कोई ये न जान सके कि उसमें गोवंश लादे गए हैं। डाला में करीब एक फीट मौरंग भी डाली गई थी, ताकि गोवंश अगर मलमूत्र करें तो वो ट्रक से बाहर न जाए। रात के अंधेरे में गोवंशों की तस्करी कराई जा रही थी, जिसे स्थानीय लोगों ने पकड़ा और पुलिस को सूचना दी। जिन लोगों ने गोवंशों को ट्रक पर लादा, वे सब गो-तस्करी में संलिप्त रहते हैं। चिकित्सक गोवंशों को सिरसिरा गोशाला भेजने की बात कह रहे थे, जबकि वहां का रास्ता खराब पड़ा है। ऐसे में वहां ट्रक जा ही नहीं सकता था।
- नहीं दी थी अभियान की कोई सूचना
भाजपाइयों ने पत्र में बताया कि सीडीओ ने दस दिन का विशेष अभियान चलाया था कि प्रतिदिन 10 गोवंश पकड़कर गोशाला पहुंचाए जाएं। इसकी रिपोर्ट प्रतिदिन अपरान्ह चार बजे तक मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को दी जाए। उस दिन डा. समदर्शी ने कोई भी सूचना उच्चाधिकारियों को नहीं दी। इस अभियान में नगर पंचायत के अधिकारी व कर्मचारियों का भी सहयोग लेना था, लेकिन सोमवार की रात वहां डा. समदर्शी और गो-तस्करों के अलावा कोई नहीं था। भाजपाइयों ने पशु चिकित्सक पर सरकार की छवि धूमिल करने के लिए उक्त कृत्य करने का आरोप लगाया और बताया कि सक्षम एजेंसी जांच करने आएगी तो वे साक्ष्य भी उपलब्ध कराएंगे। इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह को भी भेजी गई है।
भाजपा विधायक ने पकड़ा था मामला
सलोन से भाजपा विधायक अशोक कोरी ने गो-तस्करी का मामला पकड़ा था। उनकी शिकायत पर एसडीएम और सीवीओ ने प्रारंभिक जांच की और पशु चिकित्सक को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया। विधायक ने सीधे-सीधे उन्हीं पर गो-वंश तस्करी का आरोप लगाया था। इस प्रकरण को लेकर लगातार माहौल गरमाता जा रहा है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी अपनी जांच पूरी नहीं कर पा रहे हैं।