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रायबरेली में हिंदू रीति-रिवाज से विवाह के बंधन में बंधे जर्मन दंपती

जर्मनी दंपती डब्ल्यू लेंजर वाल्पलांग और एंड्रिया को भारतीय संस्कृति इतनी भा गई कि उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से शादी करने की ठानी। यह दोनों कल रात परिणय सूत्र में बंधे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 25 Aug 2017 10:02 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 10:21 AM (IST)
रायबरेली में हिंदू रीति-रिवाज से विवाह के बंधन में बंधे जर्मन दंपती
रायबरेली में हिंदू रीति-रिवाज से विवाह के बंधन में बंधे जर्मन दंपती

रायबरेली (जेएनएन)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में कल जर्मन दंपती भारतीय रीति रिवाज के अनुसार विवाह के बंधन में बंध गए। इस दौरान उनके मित्र तथा रिश्तेदारों के साथ ही मेजबान राम केवल मौर्य भी थे। 

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जर्मनी दंपती डब्ल्यू लेंजर वाल्पलांग और एंड्रिया को भारतीय संस्कृति इतनी भा गई कि उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से शादी करने की ठानी। यह दोनों कल रात वे परिणय सूत्र में बंधे। अमावां के मुराई का पुरवा में हुई इस शादी में गांव के सभी लोग गवाह बने।

जर्मनी से आए सॉफ्टवेयर इंजीनियर डब्ल्यू लेंजर वाल्पलांग और एंड्रिया का विवाह कल रात हुआ। दिल्ली में टूर एंड ट्रैवेल्स का व्यवसाय करने वाले मुराई का पुरवा निवासी राम केवल वर्मा इसमें मेजबान बने। राम केवल और उनकी पत्नी किरन ने एंड्रिया का कन्यादान किया। पहले से ही दांपत्य जीवन निभा रहे करीब पचपन वर्ष के वाल्पलांग और उनकी 45 साल की जीवन संगिनी एंड्रिया की शादी के प्रमुख गवाह उनके दो पुत्र डेविड और ओलिवर के साथ ही 14 साल की छोटी बेटी एल्विन बनी। 

रात आठ बजे बारात अमावां के ठकुराईन का पुरवा प्राथमिक विद्यालय पहुंची। यहां से मुराई का पुरवा तक बारात की अगवानी हुई। राम केवल के घर पर ही मंडप और जयमाल स्टेज लगाया गया था। जर्मन दंपती ने यहीं सात फेरे लेकर विवाह के सातों वचन निभाने का प्रण लिया।

गजब का रहा उत्साह 

शहर के होटल में ठहरे वाल्पलांग दंपती की शादी देखने को लेकर लोगों में गजब का उत्साह था। सुबह ही ढोल की धुन पर नाच-गाना हुआ। वहीं, स्थानीय लोकगीत गाने के लिए बड़े-बुजुर्ग हारमोनियम और ढोल लेकर डट गए।

दिल्ली में हुआ रामकेवल से परिचय

दरअसल, डब्ल्यू लेंजर परिवार समेत करीब 18 वर्ष पहले दिल्ली घूमने आए थे। इसी दौरान उनकी पहचान रायबरेली के रामकेवल मौर्य से हुई। रामकेवल की दिल्ली में टूर एंड ट्रैवेल्स कंपनी है। डब्ल्यू लेंजर से उनकी दोस्ती ऐसी गहरी हुई की, रामकेवल और लेंजर साल दो साल में मिलते रहे। रामकेवल ने उन्हें हिंदुस्तान के चुङ्क्षनदा दर्शनीय स्थलों को दिखाया। यहीं से जर्मन परिवार का मन हिंदुस्तानी संस्कृति में रचने बसने लगा। राम केवल ने मित्रता का फर्ज निभाते हुए अपने पैतृक गांव में ही सारी तैयारियां करा दी और खुद मेजबान बन गए।


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