तीर्थ स्थल के अस्तित्व से खेल रही निर्माण एजेंसी
डलमऊ (रायबरेली) सरकार की योजना थी कि गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं को शीतल छांव मिले। उ
डलमऊ (रायबरेली) : सरकार की योजना थी कि गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं को शीतल छांव मिले। उस छांव में बैठकर श्रद्धालु गंगा के अविरल प्रवाह में अठखेलियां करती मछलियों को देख सकें, लेकिन यह योजना कागजों तक ही सीमित रह गई। गंगा पुरोहितों ने तीर्थ स्थल के अस्तित्व से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।
केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना से गंगा तट पर ऐतिहासिक घाटों के जीर्णोद्धार कराने का निर्णय लिया। जिसके लिए भारी बजट भी दिया गया। लेकिन निर्माण एजेंसी की मनमानी से योजना अपने लक्ष्य से भटक गई। डलमऊ में 16 घाटों के डीपीआर में महज पांच घाटों को लिया गया। इनका निर्माण व जीर्णोद्धार करने के लिए निर्माण एजेंसी इंजीनियर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड व वीआरसी कांस्ट्रक्शन ने घाटों के विकास का खाका स्वयं खींचा और उसे पास भी करा लिया। जिसमें स्थानीय लोगों से न तो बात की गई और न ही उसकी जानकारी दी गई। तीर्थ पुरोहित संदीप कुमार मिश्र ने बताया कि मनमानी के कारण गंगा घाट पहले से ज्यादा खराब हो गए हैं। जिन घाटों पर सीढि़यां थी, सिर्फ उन्हीं सीढि़यों पर पत्थर लगाकर सजा दिया गया, लेकिन शेष घाट आज भी सीढ़ी विहीन हैं।
एक माह में सूखे पौधे
घाटों की खूबसूरती में चार चांद लगे, राहगीरों को छाया मिले। इसके लिए घाटों पर पौधे लगाने के अलग से स्थल बनाए गए। उनमें पेड़ भी लगाए गए, लेकिन ट्रीगार्ड न लगे होने से पौधों को मवेशियों ने नुकसान पहुंचाया। जो बचे वह अनदेखी के कारण सूख गए। उपजिलाधिकारी सविता यादव ने बताया कि यदि पौधे सूख गए तो उनमें फिर से पेड़ क्यों नहीं लगाए गए। इसके लिए निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से बात की जाएगी।
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