लाखों का गड़बड़झाला, नोटिसों तक सिमटी कार्रवाई
आउटसोर्सिग कर्मियों के हक मारने वाली फर्म पर मेहरबान पालिका के अफसर
रायबरेली : तारीख पे तारीख.. तारीख पे तारीख और तारीख पे तारीख मिलती रही है..लेकिन। दामिनी फिल्म में सनी देओल का डायलॉग नगर पालिका अफसर पर सटीक बैठ रहा है। मामूली तनख्वाह लेकर बमुश्किल से परिवार का पेट भरने वाले सफाईकर्मियों का हक मारकर बैठी फर्म पर उनका रवैया कुछ ऐसा ही है। पिछले डेढ़ साल से ईपीएफ में 30 लाख का गड़बड़झाला करने वाली दो फर्मों को नोटिस पे नोटिस दिए जा रहे हैं। कभी जवाब मिला तो कभी नहीं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक कार्रवाई एक बार भी करने का मंसूबा नहीं दिखा। आधा दर्जन नोटिसें दोनों फर्मों को दी जा चुकी हैं। ऐसे में फर्म के गैरजिम्मेदारना रवैए और अफसरों की चुप्पी कहीं न कहीं उनके गठजोड़ की ओर इशारा कर रही हैं। हालांकि इस बाबत ईओ बीएम मिश्र का कहना है कि प्रकरण संबंधी सभी दस्तावेज तलब किए गए हैं। जल्द ही दोनों फर्मों पर कार्रवाई की जाएगी।
खुली पोल तो आनन-फानन में बुलाई बैठक: जागरण ने बुधवार के अंक में खबर प्रकाशित की तो नगरपालिका के अफसरों का काला चिट्ठा सबके सामने आ गया। कर्मचारियों में भी आक्रोश बढ़ने लगा। खुद की किरकिरी होती देख अफसर हरकत में आए। आनन फानन में पत्रावलियों को तलब किया। साथ ही एक और नोटिस जारी करने के निर्देश दे दिए गए।
एक दिसंबर 2018 से नहीं जमा ईपीएफ: मे. न्यू एशिया कंस्ट्रक्शन कंपनी मुंशीगंज को एक अप्रैल 2018 को ठेका श्रमिकों की जिम्मेदारी मिली। फर्म द्वारा शुरुआती दौर में ही ईपीएफ जमा करने में आनाकानी की जाने लगी। नगर पालिका के जलकल विभाग में कार्यरत ठेका कर्मियों के अप्रैल 2018 में 156 में से 43, मई में 159 में 41, जून में 163 में से 43, जुलाई, अगस्त में 173 में से 22-22, सितंबर में 171 में से 17, अक्टूबर में 171 में से 15, नवम्बर में 173 में से 16 कर्मियों का ईपीएफ जमा ही नहीं किया गया। दिसंबर 2018 से अब तक एक भी श्रमिक का ईपीएफ नहीं जमा हुआ। कुछ ऐसा ही हाल दूसरी फर्म का भी है।