सिग्नल फेल्योर के बहाने छिपाई जा रहीं खामियां
जासं, रायबरेली : हरचंदपुर में पिछले दिनों न्यू फरक्का एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद
जासं, रायबरेली : हरचंदपुर में पिछले दिनों न्यू फरक्का एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दो अन्य ट्रेनों के एक साथ दो लाइनों पर जाने के सिग्नल मिलने के मामले को रफा-दफा करने की कोशिशें महकमे में शुरू हो गई हैं। गुरुवार को इसकी पड़ताल कराई गई। इसके बाद इसे सिग्नल फेल्योर की रूटीन घटना बताकर अफसर पल्ला झाड़ रहे हैं।
हरचंदपुर रेलवे स्टेशन पर गलत सिग्नल मिलने के कारण ही 10 अक्टूबर को न्यू फरक्का एक्सप्रेस बेपटरी हो गई थी। इसके बाद मरम्मत कार्य अभी तक चल रहा है। इसी बीच सोमवार को प्रयाग-बरेली पैसेंजर ट्रेन संख्या 52377 को हरचंदपुर में ही लूप लाइन का गलत सिग्नल मिल गया था। इसी तरह मंगलवार को भी एक घटना सामने आई। इसमें लखनऊ से इलाहाबाद जा रही नौचंदी एक्सप्रेस को दो सिग्नल मिले थे। ठहराव नहीं था, इसलिए इसे तीन नंबर लाइन से जाना था। लेकिन तीन नंबर के साथ ही लूप लाइन का सिग्नल भी पायलट को दिखा था। इस पर उसने ट्रेन रोक दी थी। इन्हीं दोनों मामलों की पड़ताल करने मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय लखनऊ से एडीआरएम अमित श्रीवास्तव गुरुवार को हरचंदपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां उन्होंने कर्मचारियों से बातचीत की। साथ ही विभागीय दस्तावेज भी जांचे। सिग्नल फेल्योर से मिलते हैं दो सिग्नल : डीआरएम
उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक लखनऊ सतीश कुमार का कहना है कि दोनों मामलों की जांच कराई गई थी। अक्सर सिग्नल फेल्योर की स्थिति में ऐसा होता है। विभागीय नियमों में लिखा है कि यदि कभी ऐसी स्थिति बने तो पायलट को ट्रेन रोक देनी चाहिए। इसके लिए लोको पायलट को ट्रे¨नग दी जाती है। तीनों ट्रैक पर शुरू हुआ ट्रेनों का संचालन
हरचंदपुर : न्यू फरक्का एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद रेलवे स्टेशन की तीनों लाइनों के ट्रैक दुरुस्त किए जा चुके हैं। अब धीरे-धीरे एक के बाद एक ट्रैक को कॉशन से हटाया जा रहा है। लाइन नंबर 1 व 3 को सामान्य कर दिया गया है। इन ट्रैकों से कॉशन हटा लिया गया है। जबकि, मेन लाइन पर 20 के बजाय ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाकर 30 किलोमीटर प्रति घंटे कर दी गई। स्टेशन के सभी ट्रैक पर संचालन भले ही धीरे-धीरे बहाल हो रहा हो, लेकिन सिग्नल की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। गुरुवार को भी मरम्मत का काम चलता रहा। होम सिग्नल के निकट ट्रैक की कैंची पर पटरी के किनारे प्वाइंट पर पुरानी मोटर हटाकर नई लगाई गई। इन्हीं मोटरों से ट्रेनों के लिए लाइन बनाई जाती है।