धान में लगा रोग, किसानों की बढ़ी चिता
फफूंद जीवाणु झुलसा रोग से बर्बाद हो रही फसल
रायबरेली : इस बार मौसम ने अन्नदाताओं का साथ दिया। समय से बरसात होने से धान की रोपाई हो गई। अब फसल तैयार हो रही है। लेकिन, धान में लगे रोग ने किसानों की चिता बढ़ा दी है। एकाएक पूरे खेतों में धान पीला पड़ रहा है। फसल बचाने को दवा का छिड़काव कर रहे हैं। फिर भी परेशानी कम नहीं हो रही है।
जिले में करीब 90 हजार एकड़ में धान की रोपाई की गई है। कई वर्षों में पहली बार धान की रोपाई सही समय पर हो पाई। रोपाई के बाद अन्नदाताओं के सामने कई समस्याएं खड़ी हो गई। पहले खाद की मुसीबत से जूझना पड़ा। अब धान में लगे रोग ने तो नींद उड़ा दी है। एक किसान के खेत में लगा रोग धीरे-धीरे आसपास के किसानों की फसलों को भी चपेट में ले रहा है। लहलहाती फसल देखते ही देखते पीली पड़ रही है।
इन दवाओं का करें छिड़काव
कृषि विशेषज्ञ आरके कनौजिया ने बताया कि धान में फफूंद रोग लगने से धान की पत्तियां पीली पड़ जाती है। इससे बचाव को कार्बेंडाजीन 500 ग्राम बीघे की दर से छिड़काव करें। पत्तियों में जंग लगने जैसे लक्षण दिख रहे तो जिक तत्वों की कमी से खैरा रोग होता है। इससे बचने को किसान दो किलो जिक प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। कुछ किसानों के खेतों में जीवाणु झुलसा रोग के कारण धान की पत्तियों की नोक और किनारे में सफेदी प्रतीत होती है। इससे बचने को कॉपरआक्सी क्लोराइड 200 ग्राम और 30 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिग का मिश्रण का छिड़काव करें। इसके साथ ही जिन किसानों के खेतों में जलभराव की स्थिति रहती है। ऐसी जगहों पर सूंड़ी कीड़ा जड़ों में चिपका रहता है। जिससे पौधे सूखने लगते हैं। इससे बचाव को मिथाइल पैराथियान आठ किलो प्रति एकड़ या फोरेट चार किलो एकड़ के हिसाब से किसान छिड़काव करें।