डिस्प्ले में 16 डिग्री, हकीकत में पारा 34 के पार
रायबरेली जिला पुरुष अस्पताल के सबसे संवेदनशील बच्चा वार्ड में नवजातों और मासूमों की हालत ि
रायबरेली : जिला पुरुष अस्पताल के सबसे संवेदनशील बच्चा वार्ड में नवजातों और मासूमों की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। इसका कारण इलाज में हीलाहवाली है। साथ ही यहां व्याप्त अव्यवस्थाएं आग में घी डालने का काम कर रही हैं। बच्चे बेहाल हैं और तीमारदार हलकान, मगर जिम्मेदार कमियों पर पर्दा डालने तक ही सीमित हैं।
हाल ही में 24 घंटे के भीतर सात नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। जिसके बाद जब बच्चा वार्ड की पड़ताल की गई तो पता चला कि यहां भीषण उमस में बच्चों का इलाज किया जा रहा है। चार वार्डों में से तीन में न तो पंखे सही से हवा दे रहे हैं और न ही एसी कूलिग कर रहा है। कोई घर से पंखा लगाकर किसी तरह इलाज करा रहा है तो कई हाथ पंखे से अपने लाडले को गर्मी से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इस समस्या को जब उजागर किया गया तो अस्पताल प्रशासन ने महज एसी का डिस्प्ले सही कराकर इतिश्री कर ली गई है। अब इन वार्डों में लगी 16 डिग्री पर कूलिग दिखा रही है मगर अंदर का तापमान 34 के पार पहुंच जाता है। जिसके कारण तीमारदार खिड़की दरवाजे खोलकर बैठते हैं और किसी तरह इलाज करा रहे हैं।
नहीं मिल रहा लाभ
यहां बुखार और डायरिया से पीड़ित समर (4) 29 जुलाई से, आरोही (4) 21 जुलाई से, रिमझिम (3) 27 जुलाई से, हिमांशू (1) 29 जुलाई से और ईशू (2) 31 जुलाई से भर्ती है। इनके तीमारदारों ने बताया कि डॉक्टर आते हैं, दवा देते हैं लेकिन फायदा नहीं हो रहा है। हमें सही से बताया भी नहीं जाता कि बच्चे को कब और कैसे फायदा होगा। पूछने पर डांट दिया जाता है।
कोट
दो पंखे जल गए थे, जिनकी मोटर बदलने के लिए आदेश दिए गए हैं। एसी चल रही है। अगर कूलिग नहीं हो रही है तो उसे ठीक कराया जाएगा। क्योंकि मेरी भी तबीयत तीन-चार दिनों से खराब है, इसलिए मैं उस वार्ड तक जा नहीं पाया। जल्द ही व्यवस्थाएं दुरुस्त करा दी जाएंगी।
-डॉ. एनके श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
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