मौत इतनी बेरहमी से आई..कि हर कोई रो दिया
बछरावां (रायबरेली): बेटियां तो लाडली होती ही हैं। काव्या और जासू के साथ भी ऐसा था। कार
बछरावां (रायबरेली): बेटियां तो लाडली होती ही हैं। काव्या और जासू के साथ भी ऐसा था। कार में यात्रा शुरू हुई तो जासू अपने पिता की गोद में जा बैठी, जबकि काव्या दादी और मां के साथ थी। हंसी-खुशी रास्ता कट रहा था। तभी एक पल में सब बिखर गया। विभूती की गोद में सिर्फ बेटी का धड़ बचा। सिर बाहर जा गिरा।
न जाने किस घड़ी में विभूती और उनका परिवार घर से निकला। विभूती के परिवार में कहने को सिर्फ बेटी काव्या ही बची। घटना के बाद राहत या मदद के लिए जो भी पहुंचा, कार के अंदर का दृश्य देख रोंगटे खड़े हो गए। पूरी कार ध्वस्त हो चुकी थी। अंदर हर तरफ खून था। जब सबको निकाला गया तो उनमें सिर्फ माधुरी और काव्या की ही सांसें चल रहीं थीं। अस्पताल में माधुरी की सांसों ने भी साथ छोड़ दिया। काव्या की हालत नाजुक है। जब भी उसे होश आता है सिर्फ वह रोती है।
मानवीय संवेदनाएं हुईं तार-तार
टैंकर चालक ने मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया। हादसे के वक्त वह पास में खड़ा था। वह कार के पास गया। उसे घायलों की तड़प नहीं दिखी। न तो मासूम बच्चों पर रहम आई न ही खून से लथपथ बड़ों पर दया। बजाय उन्हें बचाने के टैंकर लेकर भागने की कोशिश की। कार फंसी हुई थी। उसे छुड़ाने की मशक्कत की, लेकिन पुलिस को नहीं बुला सका। फिर वहां से भाग निकला।
भर आईं तीमारदारों की आंखें
काव्या को जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर तीन पर भर्ती कराया गया था। दोपहर में घर से उसके कुछ परिवारीजन पहुंचे। बच्ची इस कदर जख्मी थी कि उसे छूने से भी लोगों ने पहले मना कर दिया। इस पर महिलाएं बिलख पड़ीं। वहीं बच्ची भी रो रही थी। यह नजारा देख वहां मौजूद तीमारदारों व अन्य लोगों की आंखें भी भर आईं।