अलग-अलग जगहों पर तीन बार बुलाया
रायबरेली रंगदारी वसूलने वालों ने व्यापारी को तीन बार अलग-अलग स्थानों पर रुपयों के साथ पहु
रायबरेली : रंगदारी वसूलने वालों ने व्यापारी को तीन बार अलग-अलग स्थानों पर रुपयों के साथ पहुंचने को कहा। व्यापारी ने उनसे बताया कि एक साथ एक करोड़ रुपया देना संभव नहीं है। तो कुछ टुकड़ों में रुपये देने की बात कही गई। इस पर एक बताए स्थान पर जब व्यापारी अपने ड्राइवर के साथ पहुंचे तो उन्हें पेड़ के नीचे रुपयों से भरा बैग रखकर चले जाने की बात कही गई। इस पर व्यापारी की ओर से कहा गया कि रुपया कोई और ले गया तब। बदमाशों की ओर से कहा गया कि उनकी निगाहें बैग तक हैं। लेकिन, थोड़ी ही देर में बैग को और आगे पहुंचाने की बात कही गई। शायद बदमाश जांचना चाह रहे थे कि व्यापारी कोई पुलिसिया जाल तो नहीं बिछाए है।
दूसरे दिन फिर फोन आया और व्यापारी रुपये लेकर निकला। इस बार नजरवा ताल के पास बैग रखने का हुक्म हुआ। वहां जब व्यापारी पहुंचा तो फिर फोन आया। चूंकि वहां उस समय कुछ बच्चे खेल रहे थे। ये आवाज जरिए मोबाइल बदमाशों तक पहुंच गई। इस पर उन्होंने पूछा कि क्या पुलिस भी साथ लाए हैं। व्यापारी ने कहा-गांव के बच्चे खेल रहे हैं। फिर बदमाशों ने बच्चों से फोन पर बात कराने को कहा। जब फोन बच्चों को दिया गया, तो बदमाशों ने उन्हें गालियां देकर भाग जाने को कहा। इस पर बच्चों ने वहां शोर मचा दिया और गांव वाले लाठी-डंडा लेकर दौड़ पड़े। व्यापारी और पुलिस ने वहां से भागकर जान बचाई। बदलते रहे चेहरे, नौकर ने दिखाए रास्ते
दरअसल बदमाशों ने जहां-जहां बुलाया और व्यापारी से जब-जब बातें कीं। उनके चेहरे और आवाज बदलती रही। इसी से पुलिस जान गई कि इस मामले में कोई गैंग सक्रिय है। फिर पुलिस ने व्यापारी की फैक्ट्री से गायब रहने वाले एक नौकर से छानबीन की शुरुआत की। रमेश यादव जो भुएमऊ का रहने वाला है, वहां पूर्व में मोबाइल लूट की घटना भी हुई थी। उस वारदात से इसके तार जोड़े और पता किया तो मालूम चला कि वो फैक्ट्री में चार साल से नौकरी कर रहा था। कुछ दिन से उसके हाव भाव असामान्य हैं। उसने बदमाशों को बताया था कि फैक्ट्री मालिक से मोटी रकम आसानी से वसूली जा सकती है। डीह, भदोखर, मिल एरिया और शहर के हैं आरोपित
पकड़े गए बदमाश इन्हीं चारों थाना क्षेत्रों के हैं। उनमें शहर के तिलक नगर मुहल्ला निवासी प्रदीप यादव का पुत्र अनुज यादव गैंग का सरगना बताया गया है। व्यापारी का नौकर सबके परिचय में था। और फिर ये गैंग सामने आया। इन सबका सपना था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नीरज बवाना गैंग की तरह वे जिले के व्यापारियों में दहशत फैलाकर वसूली का धंधा चलाएंगे। लेकिन, वे सब धरे गए। कोतवाल मॉनीटर, सर्विलांस प्रभारी ड्राइवर
अफसर रुचि लें तो मातहत बेधड़क काम करते हैं। यह वर्कआउट इसी पैटर्न पर हुआ। जब लखनऊ की एसटीएफ ने सूचना साझा की। उसके बाद पुलिस कप्तान स्वप्निल ममगाईं ने अपने विश्वस्त अधिकारियों को इसमें लगा दिया। सर्विलांस प्रभारी अमरेश त्रिपाठी तो व्यापारी के ड्राइवर बन गए। निजी कार से लगातार 20 दिन तक वे व्यापारी के साये की तरह डटे रहे। जबकि कोतवाल अतुल कुमार सिंह पल-पल की मॉनीटरिग करते रहे।
सामान्य फोन, टुटही बाइक और जंक खाई अद्धी
एक करोड़ की रंगदारी मांगने निकले पांच लोग ये सोच रहे थे कि 20-20 लाख रुपये उनके हिस्से में आएंगे। इंटरनेट से काल और तमाम तरीके आजमाते समय जब वे पुलिसिया शिकंजे में धरे गए तो उनके पास से एक टुटही बाइक यूपी 33 बीजे 0174 मिली। जो मोबाइल मिला वो भुएमऊ में हुई पुराने लूटकांड का था। और 315 व 12 बोर की जंक खाई देसी अद्धी मिली। हां, व्यापारी ने जो चार लाख रुपये बैग में रखकर उन्हें दिए थे, वे भी बरामद कर लिए गए। ऑपरेशन में शामिल रहे 16 वर्दीधारी
शहर कोतवाल अतुल कुमार सिंह, अमरेश त्रिपाठी, संजय सिंह, देवेंद्र अवस्थी इन चार दारोगा के अलावा मुख्य आरक्षी संतोष सिंह, सिपाही कौशल किशोर, पंकज यादव, जीतेंद्र सिंह, दुर्गेश सिंह, रुपेंद्र शर्मा, सौरभ कुमार पटेल, अरुण, राम सजीवन, लाल प्रकाश, राहुल पाल, रामाधार और मनोज कुमार ने इस मामले को असली अंजाम तक पहुंचा दिया।