यूनिक आइडी नंबर से पहचानी जाएंगी गाय और भैंस
जिले में करीब साढ़े आठ लाख गोवंशों और महिष वंशों की हो रही जियो टैगिग
रायबरेली : गाय हो या भैंस। नर हो या मादा। पालतू हो या बेसहारा। ऐसे सभी गोवंशों और महिष वंशों की जियो टैगिग का काम पशुपालन विभाग कर रहा है। साथ ही ये सारी जानकारी राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत इनाफ पोर्टल में फीड की जा रही है। ताकि इनका समय से टीकाकरण हो सके। गर्भादान और प्रसव की तिथि पता चल सकेगा। सबसे अहम ये है कि इनका यूनिक आइडी नंबर होगा। जिससे इनकी आसानी से पहचान हो सकेगी।जिले में 3,91,858 गोवंश और 4,63,692 महिष वंश के पशु हैं। मार्च से इन सभी की जियो टैगिग का काम चल रहा है। अब तक 92,821 गोवंश और 55578 महिष वंश के पशुओं की टैगिग की जा चुकी है। इनमें से 75921 का डेटा इनाफ पोर्टल में फीड किया जा चुका है। पिछली बार पशुओं की गणना के लिए जो टैगिग हुई थी, उससे ये काफी अलग है। इस बार पशुपालक और किसानों का आधार कार्ड भी नोट किया जा रहा है। यानी अगर इनके पशु कहीं खो जाते हैं तो यूआइडी यानी यूनिक आइडी नंबर के जरिए उसे उसके पालक के पास पहुंचाया जा सकता है। इससे मवेशियों को छोड़ने वाले पशुपालकों पर शिकंजा भी कसेगा। इन पशुओं की यूआइडी का प्रारूप आधार कार्ड सरीखा ही है।
कोट
इनाफ पोर्टल में गोवंशों और महिष वंशों की डेटा फीडिग का काम तेजी से किया जा रहा है। इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले जल्दी पकड़ में आ जाएंगे। वैसे गो संरक्षण केंद्रों में भी जो पशु हैं, उनकी भी जियो टैगिग कराई जाएगी ताकि उनका समय से टीकाकरण आदि किया जा सके।
-डॉ. गजेंद्र प्रताप सिंह, जिला पशु चिकित्सा अधिकारी