अवैध इमारतों को भी धड़ल्ले से दे रहे बिजली कनेक्शन
रायबरेली : शहर में एक तरफ ठोस कार्रवाई न करके आरडीए अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे
रायबरेली : शहर में एक तरफ ठोस कार्रवाई न करके आरडीए अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रहा है। वहीं बिजली विभाग भी सिर्फ राजस्व की खातिर सुरक्षा को दांव पर रखकर रेवड़ी की तरह कनेक्शन बांटता जा रहा है। इसका खामियाजा कभी भी जनमानस को भुगतना पड़ सकता है।
बिजली विभाग में घरेलू कनेक्शन के लिए तो बीएल फॉर्म जमा करने की व्यवस्था खत्म कर दी गई, लेकिन व्यवसायिक संयोजन लेने में यह प्रक्रिया अभी पूरी कराई जा रही है। इसका सबसे अहम रोल मॉल, शोरूम, दर्जनों दुकानों वाली बड़ी इमारतों के कनेक्शनों में होता है। इस फॉर्म के साथ संबंधित इमारत का विकास प्राधिकरण से पास नक्शा लगाया जाता है। इसमें दिए गए क्षेत्रफल के आधार पर कनेक्शन का लोड तय होता है। बिजली विभाग की जिला समन्वय समिति के पूर्व सदस्य शरद मेहरोत्रा का कहना है कि यदि व्यवसायिक का नक्शा नहीं पास है तो नियमानुसार इसके तहत बिजली का कनेक्शन भी नहीं मिलना चाहिए। मगर, यहां बिजली विभाग इस पर जरा भी ध्यान नहीं दे रहा है। शहर के कैनाल रोड, कचेहरी रोड, कानपुर रोड अन्य जगहों पर बनी बड़ी इमारतों को दिए गए कनेक्शन इसके उदाहरण हैं। अधिक राजस्व की खातिर हो रही अनदेखी
दरअसल, ऐसे भवनों में 25 किलोवाट से बड़े कनेक्शन ही ज्यादातर होते हैं। जितने अधिक लोड का कनेक्शन होता है, उससे विभाग को हर महीने बिजली का बिल भी उतना ही ज्यादा मिलता है। अधिक राजस्व की खातिर विभागीय अभियंता लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण इस ¨बदु को दरकिनार कर बिजली का कनेक्शन बाटने में जुटे हैं। इनकी भी सुनें
एसडीओ टाउन प्रथम, अमित श्रीवास्तव ने बताया कि भवन व्यवसायिक है या घरेलू, यह निर्धारित करना आरडीए (रायबरेली विकास प्राधिकरण) का काम है। इसका राजस्व आरडीए लेता है। बिजली विभाग की जिम्मेदारी बिजली के राजस्व की है। व्यवसायिक कनेक्शन देते समय बीएल फॉर्म के साथ भवन का नक्शा जमा कराया जाता है, ताकि क्षेत्रफल देखकर लोड निर्धारित किया जा सके।